उत्तराखंड
सच्चाई: क्या वृद्धा से वादा करके भूल गए IAS दीपक रावत, जानिए क्या है इस वृद्धा पेंशन मामले का सच…
हरिद्वार: उत्तराखंड के IAS अफसर दीपक रावत की गिनती देश के तेजतर्रार अफसरों में होती है। अक्सर अपने अनोखे अंदाज में छापे मारने को लेकर ये सुर्खियों में रहते हैं। उनकी पॉपुलेरिटी ऐसी है कि फेसबुक पर उनके नाम से फैन क्लब तक बना हुआ है। लेकिन एक वृद्ध महिला को पेंशन न दिला पाने के लिए भी वह सुर्खियों में है। अब आईएएस दीपक ने वृद्ध महिला संतोषी देवी शर्मा को पेंशन देने के मामले में अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में पेच फंस गया था। क्योंकि वह महिला उत्तराखंड की निवासी नहीं थी।
आपको बता दें कि हाल ही में खबर आई थी कि आईएएस दीपक रावत ने हरिद्वार में गंगा घाट किनारे थैले बेचकर अपना गुजारा कर रही संतोषी देवी शर्मा से वृद्धा पेंशन दिलाने का वादा किया था। लेकिन एक साल से अधिक समय होने के बावजूद भी महिला को पेंशन नहीं मिल सकी। संतोषी देवी गंगा घाट पर बने रैन बसेरे में रह रही हैं। मामले में अब दीपक रावत ने सफाई दी है। दीपक ने कहा कि वह एक बार नहीं बल्कि दो बार संतोषी देवी से मिलने गए थे। इतना ही नहीं समाज कल्याण के अधिकारी और दूसरे अधिकारियों को भी उन्होंने तत्काल वृद्ध महिला की सहायता के लिए और पेंशन के लिए भेजा था। लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि महिला उत्तराखंड की मूल निवासी नहीं है। जिस कारण नियमों के अनुसार उन्हें वृद्धा पेंशन नही मिल सकती।
दीपक रावत ने कहा कि वादा करके भूल गए वाली बात नहीं थी। उन्हें भी इस बात का दुःख है कि वह उस वृद्ध महिला की पेंशन नहीं दिलवा पाए। गौरतलब है कि संतोषी देवी शर्मा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के आसपास की रहने वाली है। ऐसे में नियम कहते हैं कि वृद्धा पेंशन उन्हीं को मिलती है, जो राज्य का निवासी हो।
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