उत्तराखंड
घोटाला: गजब का जीरो टॉलरेंस सिस्टम, विधानसभा सचिवालय मे ‘अंडर टेबल’ भर्तियों मे खूब चला चलन, पूर्व स्पीकर पर आरोप…
देहरादून। उत्तराखंड मे नौकरियों मे हो रही घपले बाजी आए दिन उजागर हो रही हैं। दरअसल, क्या बाबू क्या साहब सब पर करप्शन के छींटे गिरते नजर आ रहे हैं। अभी uksssc मे बड़े पैमाने पर हुए घोटाले की कड़ियां STF जोड़ ही रही है। वंही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल भी विधानसभा सचिवालय मे बैकडोर नियुक्ति करने के बड़े घपले की चपेट मे आ गए हैं और यह नियुक्ति एक नहीं दो नहीं पूरे 72 लोगों की हुई है। जिसमे इससे पूर्व कई लोग मंत्रियों के pro भी रह चुके हैं।
इसको लेकर कांग्रेस अब मुखर हो गई है। वंही उत्तराखण्ड की साख पर बट्टा लगा रहे मंत्री, संत्री, अधिकारियो पर कार्रवाई करने की विपक्ष मांग उठाने लगा है।
यह भी छुपा नहीं है कि यहां हर सरकार के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर हुई ‘अंडर टेबल भर्तियों’ ने उत्तर प्रदेश जैसी देश की सबसे बड़ी विधानसभा का भी रिकार्ड तोड़ दिया है।
–-गज़ब है रे सिस्टम 0 टॉल रेंस की धज्जियाँ पीट डाली–
बता दें कि चौथी विधानसभा के कार्यकाल में यहां अंडर टेबल भर्तियां की गई। जिस में 72,लोगों को विधानसभा के सचिवालय में नौकरी दी गयी गई । रिक्तियां कितनी थीं, इन भर्तियों की विज्ञप्ति कब निकली और कब इनकी परीक्षा की गयी यह पता ही नहीं चला। माना जा रहा है कि 72 लोगों की भर्ती मे करीब दो दर्जन लोग ऐसे हैं जिन्हे सरकार और संगठन के बाहुबली लोगों की सिफारिश पर रखा गया।
–-कूट कूट कर माल दबाने की भी है चर्चा
इन सब भर्तियों के बीच एक चर्चा भी बाजार को हाई वोल्टेज पर ले आई है, कि बाहुबलियों के मामलों को छोड़ दिया जाए तो बाकी लोगों से नियुक्ति के लिए खूब पैसा वसूला गया।
–-घपलेबाजी की चर्चित बात
चर्चित बात यह है कि ये सभी नियुक्तियां चौथी विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से कुछ समय पूर्व ही कर दी गई। उस वक्त पूर्व स्पीकर प्रेमचंद्र अग्रवाल हुआ करते थे, जो कि वर्तमान सरकार मे वित्त मंत्री हैं। यही नहीं हाल ही मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सभी गड़बड़ भर्ती को निरस्त एवं आरोपियों को सजा दिलाने वाले बयान पर लोगों की नजर टिकी है। क्या इस बयान के आधार पर कार्रवाई होंगी यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा।
बताते चलें कि यह पहला मौका नहीं है, जब उत्तराखंड में बैकडोर से भर्तियां की गई हों। पूर्व में कांग्रेस सरकार के दौरान भी 2017 के विधानसभा की आचार संहिता लगने से पूर्व 2016 में विधानसभा में करीब 158 पदों पर बैकडोर से भर्तियां की गई थी। तब कांग्रेस सरकार में गोविंद सिंह कुंजवाल विधानसभा अध्यक्ष थे।
सरकारी नौकरियों के लिए लंबे समय से तैयारी में जुटे उत्तराखंड के बेरोजगार युवा इस तरह की बैकडोर भर्तियों से स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
सवाल यह है कि जिन भर्तियों में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है, उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निरस्त करने का साहसिक निर्णय लिया है तो क्या वे अचार संहिता के पहले पूर्व की भाजपा सरकार में विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर भी कोई निर्णय ले पाएंगे।
–विपक्ष की सुनिए
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस भर्ती पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि भाजपा के बड़े नेताओं ने अपने करीबी लोगों को विधानसभा में नौकरी दिलाई गई है, जिसका प्रमाण वायरल हो रही सूची है। सरकार अगर सही मायने मे भर्तियों मे हुए घोटाले की पिक्चर जनता के सामने किलियर करना चाहती है तो जिन भर्तियों पर सवाल उठ रहे हैं सब को चिन्हित कर जांच की जाय। कांग्रेस पहले से ही भर्तियों में भारी घोटाले को देखते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 उत्तराखंड टुडे के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 उत्तराखंड टुडे के फेसबुक पेज़ को लाइक करें