देहरादून
Big Breaking: हरक की हनक को लगा तगड़ा झटका, चुनाव हारी बहू अनुकृति गुसाईं,अब क्या करेंगे आगे…
देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में शुरू से लेकर आखिर तक सुर्खियों में रहे हरक सिंह रावत की हनक को बड़ा झटका लग गया है। एक और बड़ी हार की खबर सामने आई है। लैंसडाउन सीट से हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं चुनाव हार गई हैं। बीजेपी के महंत दलीप ने उन्हें यहां से हराया है। अनुकृति गुसाईं की हार को हरक सिंह की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है। अब सवाल उठ रहा है कि बीजेपी से 6 साल के लिए निष्कासित हरक आगे क्या करेंगे। क्या वह राज्य की मुख्य राजनीति से पांच साल के लिए दूर रहेंगे।
बता दें किमॉडलिंग की चमक छोड़कर पूर्व मिस इंडिया अनुकृति ने इस बार सियासी जमीन पर पैर जमाने की कोशिश की। जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने अनुकृति गुसाईं को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था। अनुकृति गुसाईं को लैंसडाउन से चुनाव लड़ाने को लेकर हरक सिंह रावत ने बीजेपी को तेवर दिखाये थे। जिसके बाद चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह रावत ने अनुकृति गुसाईं के साथ कांग्रेस में घर वापसी की थी।
अनुकृति का दावा था कि 2018 से न सिर्फ लैंसडाउन, बल्कि पूरे राज्य में वो सामाजिक कार्यों में लगी हुई थीं। हरक सिंह रावत ने भी अनुकृति के सामाजिक कार्यो, जनता से जुड़ाव का हवाला देते हुए उनके लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों से टिकट मांगा था। आखिर में कांग्रेस ने अनुकृति को लैंसडाउन सीट से टिकट दिया, जिसका नतीजा हार के रूप में सामने आया है। अनुकृति गुसाईं की हार से हरक सिंह रावत की साख को बड़ा झटका लगा है। हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में ऐसा नाम है जो आज तक कोई भी चुनाव नहीं हारे। अपनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए हरक सिंह ने अनुकृति को चुनाव लड़वाया था। जिस पर वे खरी नहीं उतर पाई।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 उत्तराखंड टुडे के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 उत्तराखंड टुडे के फेसबुक पेज़ को लाइक करें
Latest News -
देहरादून, बागेश्वर के साथ इन 3 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट
जिलाधिकारी ने सुमन दिवस मनाए जाने को लेकर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की समीक्षा
ग्रामोत्थान परियोजना से प्रदेश के 10 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका को मिला सहारा
मुख्यमंत्री धामी से महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी जी महाराज ने शिष्टाचार भेंट की
सशक्त ग्राम पंचायतें ही बदल सकती हैं उत्तराखंड की तस्वीर
