देहरादून
पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि के साथ महिलाओं के सौंदर्य-प्रेम का उपासक है यह पर्व…
देहरादून: बारिश और रिमझिम फुहारों के साथ सावन का महीना सभी को लुभा रहा है। चारों ओर हरियाली छाई हुई है। ऐसे में अगर तीज-त्योहार का भी आगमन हो जाए, तो क्या बात है। वैसे सावन से त्योहारों की शुरुआत भी होती है। शुक्रवार, 13 अगस्त को नाग पंचमी है उसके बाद 22 अगस्त को भाई और बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन है। लेकिन आज हम आपसे जो बात करेंगे वह पर्व महिलाओं को समर्पित है। जी हां हम बात कर रहे हैं ‘हरियाली तीज’ की। आज देश में हरियाली तीज धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। महिलाओं ने इसके लिए विशेष तैयारी कर रखी है। घरों में पकवान बनाए जा रहे हैं। महिलाएं सोलह सिंगार करने में व्यस्त हैं। खैर, महिलाओं का सिंगार और स्वादिष्ट पकवान बनाना शाम तक चलता रहेगा। जब तक आइए हरियाली तीज को लेकर चर्चा कर लिया जाए ।
हरियाली तीज पर वर्षा ऋतु प्रसन्न होती है और वर्षा ऋतु की प्रसन्नता धरा पर हरियाली के रूप में दिखाई देती हैं। हरियाली तीज सावन महीने के सबसे महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। सौंदर्य और प्रेम के इस पर्व को ‘श्रावणी तीज’ भी कहते हैं। त्याग-समर्पण के साथ सौंदर्य और प्रेम न जाने कितने रूपों में भारतीय नारियों का वर्णन किया गया है। तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ‘हरियाली तीज पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के साथ महिलाओं के सौंदर्य-प्रेम का भी उपासक है, सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ और हरियाली तीज ऐसे त्योहार है जो कि पति की लंबी आयु के साथ व्रत रखने और सोलह श्रृंगार सिंगार करने के लिए जाने जाते हैं’। हरियाली तीज के दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार अखंड सौभाग्य की निशानी होती है, इसलिए हरियाली तीज का स्त्रियां साल भर इंतजार करती हैं। इस दिन परंपरा रही है कि महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाकर झूला भी झूलती हैं। घरों में पूजा के लिए पकवान भी बनाए जाते हैं।
सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है—
हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है। इस दिन महिलाएं श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं इस प्रकार करें पूजा। घर को तोरण-मंडप से सजाएं मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं और इसे चौकी पर स्थापित करें। मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें। तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है, इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं। मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 अगस्त दिन मंगलवार को शाम 06 बजकर 05 मिनट से बुधवार शाम 04 बजकर 53 मिनट तक रहेगी।
इस बार हरियाली तीज व्रत पर ‘शिवयोग’ का शुभ संयोग—
यहां हम आपको बता दें कि इस बार हरियाली तीज व्रत के दिन ‘शिव योग’ बन रहा है। ऐसे अवसर पर ऐसा संयोग बनना बहुत ही अनूठा होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शिव योग को प्रमुख 27 योगों में सबसे प्रमुख और कल्याणकारी योग माना गया है। इस योग में शिव की पूजा करने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा शिव योग में भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा दांपत्य जीवन को खुशियों से भर देता है। सभी मनोकामनाएं पूरी कर देता है। संतान सुख में वृद्धि करता है। घर परिवार धन-धान्य से भर जाता है। हरियाली तीज व्रत के अवसर पर ऐसा संयोग लंबे समय के बाद बन रहा है। बता देंं कि सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृत्यी को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता हैै कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की प्रथम मिलन हुआ था। हरियाली तीज पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है। उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
हरियाली तीज का संबंध भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा हुआ है—-
हरियाली तीज पर्व का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। मान्यता है कि पार्वती की तपस्या से शिव प्रसन्न हुए थे और इसी दिन ही पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा भी सुनाई थी। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पिछले जन्मों का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। एक बार की बात है माता पार्वती अपने पूर्वजन्म के बारे में याद करने में असमर्थ थीं तब भोलेनाथ माता से कहते हैं कि हे पार्वती, तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए 107 बार जन्म लिया था लेकिन तुम मुझे पति रूप में न पा सकीं लेकिन 108वें जन्म में तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और मुझे वर रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था।
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