देहरादून
Big News: देवस्थानम बोर्ड को लेकर उच्च स्तरीय समिति का बड़ा फैसला, कही ये बात, जानिए…
ऋषिकेश। उत्तराखंड में भले ही चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी हो। लेकिन अभी भी देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा गरमाया हुआ है। तीर्थ पुरिहित आंदोलन कर रहे हैं। वहीं अब देवस्थानम बोर्ड को लेकर लगातार पंडा समाज का विरोध झेल रही सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं किया जाएगा। बल्कि बोर्ड के एक्ट में लिखी गई यदि किसी धारा से पंडा समाज को आपत्ति है तो उसका निस्तारण किया जाएगा। आपत्तियां दर्ज करने के लिए सरकार की ओर से उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। जिसके अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी है।
मनोहरकांत ध्यानी ने साफ कहा कि देवस्थानम बोर्ड के एक्ट को किसी ने भी सही तरीके से नहीं पढ़ा है। इसलिए कुछ राजनीतिज्ञों के इशारे पर पंडा समाज विरोध कर रहा है। एक्ट में किसी भी हकहकूक धारी का हक छीनने का जिक्र नहीं है। देवस्थानम बोर्ड यात्रियों की सुविधा के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यदि आप कोई घर बनाते हैं और उसमें कुछ कमियां होती हैं तो उसे सुधारने की कोशिश की जाती है, न कि घर को तोड़कर जमीदोज कर दिया जाता है। उसी तरह देवस्थानम बोर्ड के एक्ट की किसी धारा में यदि पंडा समाज को आपत्ति है तो वह अपनी आपत्ति दर्ज करा कर उसका निस्तारण सरकार से कराए, यह तो समझ वाली बात है। मगर बोर्ड को ही भंग करने की मांग जायज नही है। उन्होंने कहा कि विरोध करने वाली समितियों को आपत्तियां दर्ज करने के लिए बुलाया है। जल्द ही वह आपत्तियां लेकर उनका निस्तारण करेंगे और अपनी रिपोर्ट सरकार को देंगे।
गौरतलब है कि चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को राजभवन की मंजूरी मिलने के बाद चारधाम देवस्थानम् बोर्ड अस्तित्व में आ गया है। मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया। मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई।
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