देहरादून
मिशन 22ः राहुल गांधी ने मंच से दिया देश की एकजुटता का ये संदेश , तो वहीं पार्टी में दिखी गुटबाजी…
देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार जोरो-शोरो से हो रहा है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने देहरादून में विशाल जनसभा की है। जिसमें लोगों का हुजूम तो देखने को मिला लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं को गुटबाजी की चिंता सताने लगी है। स्थिति ये रही कि पार्टी के सहप्रभारी को खुद मंच से किसी भी पार्टी नेता की व्यक्तिगत नारेबाजी नहीं करने की बात कहनी पड़ी। यही नहीं हरीश रावत के करीबी राजीव जैन से मंच की कमान सह प्रभारी राजेश धर्माणी ने खुद अपने हाथ में ले ली। राहुल गांधी ने उत्तराखंड से अपना गहरा नाता बताया। वहीं रैली में लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली। इस दौरान देवभूमि उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊ की थाप पर कार्यकर्ता जमकर थिरके। राहुल गांधी की विजय सम्मान रैली में शामिल होने मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों से कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में कांग्रेस नेता शक्ति प्रदर्शन करते भी दिखाई दिए।
आपको बता दें कि देहरादून के परेड ग्राउंड में राहुल गांधी की जनसभा के लिए कोशिश की जा रही थी कि पार्टी मंच से एकजुटता का संदेश राज्य में देगी, लेकिन राहुल गांधी के परेड ग्राउंड पहुंचने से पहले ही मंच पर ऐसा कुछ हुआ जिसने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा। मंच पर हरीश रावत के करीबी राजीव जैन जनसभा का संचालन करते हुए दिखाई दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने मंच से हरीश रावत की बड़े ही जोश के साथ नारेबाजी की। हालांकि इसके बाद उन्होंने बाकी नेताओं के नाम भी लिए, लेकिन इसके बाद फौरन पार्टी के सह प्रभारी ने मंच संभाला और किसी को भी किसी नेता के व्यक्तिगत नारेबाजी करने से बचने की बात कही। बड़ी बात ये है कि इसके बाद हरीश रावत के करीबी राजीव जैन मंच के संचालन से दूर हो गए और सह प्रभारी राजेश धर्माणी ने मंच संभाल लिया। वहीं हरीश रावत और प्रीतम सिंह मंच पर एक साथ दिखाई दिए। वहीं जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने 13 दिनों के भीतर ही अपना सिर झुका लिया था। आमतौर पर एक युद्ध 6 महीने, 1-2 साल तक लड़ा जाता है। अफगानिस्तान को हराने में अमेरिका को 20 साल लग गए, लेकिन भारत ने पाकिस्तान को 13 दिनों में ही हरा दिया। क्योंकि भारत एकजुट था और एक के रूप में खड़ा था। उन्होंने कहा, बांग्लादेश युद्ध को लेकर आज दिल्ली में एक समारोह का आयोजन किया गया। उस समारोह में इंदिरा गांधी का कोई जिक्र नहीं था। जिस महिला ने इस देश के लिए 32 गोलियां लीं, उसका नाम निमंत्रण पत्र में नहीं था क्योंकि यह सरकार सच से डरती है।
इतना ही नहीं राहुल गांधी ने कहा कि उत्तराखंड से मेरा पुराना रिश्ता है। कहा मैंन दून स्कूल में पढ़ा हूं। मेरे परिवार और उत्तराखंड का रिश्ता है। मेरी दादी और पिता देश के लिए शहीद हुए, जो कुर्बानी उत्तराखंड के लोग ने दी, मेरे परिवार ने भी दी है। उत्तराखंड के सैन्य परिवार इस रिश्ते को अच्छी तरह समझते हैं। जिस परिवार, व्यक्ति ने कुर्बानी नहीं दी, वे कभी नहीं समझ सकते। उन्होंने कहा कि आज देश को बांटा जा रहा है, कमजोर किया जा रहा है। एक भाई को दूसरे भाई से लड़ाया जा रहा है। पूरी सरकार दो तीन पूंजीपतियों के लिए चलाई जा रही है। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि कानून पर कहते हैं कि गलती हो गई, सरकार ने जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा तक नहीं दिया। दो तीन उद्योगपतियों के लिए ये सब किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा की सरकार नहीं हटेगी, युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा। सब कुछ दो तीन व्यक्तियों के लिए ही किया जा रहा है। देश की आर्थिक शक्ति को नष्ट किया जा रहा है। हेलीकॉप्टर, हवाई जहाज, तोप से नहीं देश के नागरिक के मज़बूत होने से देश मज़बूत होता है।
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