उत्तराखंड
मैक्स अस्पताल, देहरादून ने हार्ट फेलियर अवेयरनेस वीक पर लोगों को किया जागरुक…
सहारनपुर 16 फरवरी 2025 – हार्ट फेलियर जागरुकता सप्ताह (9 से 15 फरवरी 2025 तक) पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून के डॉ. योगेन्द्र सिंह, डायरेक्टर, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट ने हार्ट फेलियर के प्रति लोगों को जागरुक किया व हार्ट फेलियर के कारण, लक्षण व उपायों पर चर्चा की, साथ ही हार्ट फेलियर व हार्ट अटैक में अंतर भी बताया।
हार्ट फेलियर एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रूप से रक्त पंप करने में सक्षम नहीं होता, यानी यह अपनी सामान्य क्षमता से कम काम करता है।
इससे फेफड़ों, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों में तरल पदार्थ (Fluid) का जमाव हो सकता है, जिसके कारण सांस की तकलीफ, थकान और सूजन जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। हार्ट फेलियर मुख्यत तीन प्रकार का होता है – जिसमें पहला लेफ्ट साइड हार्ट फेलियर है, जिसमें हृदय रक्त को शरीर में प्रभावी ढंग से पंप करने में असमर्थ होता है, जिससे फेफड़ों में तरल पदार्थ (Fluid) का जमाव होता है, जिसे प्लमनेरी कंजेशन कहा जाता है।
दूसरा राइट साइट हार्ट फेलियर है, इसमें हृदय रक्त को फेफड़ों में पंप करने में कठिनाई महसूस करता है, जिससे पेट, पैरों और फीट में तरल पदार्थ (Fluid) का जमाव होता है और तीसरा कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (CHF) है, यह वह स्थिति है जिसमें शरीर में तरल पदार्थ (Fluid) का जमाव स्पष्ट रूप से देखा जाता है। ये हृदय विफलता के प्रकार अलग-अलग या एक साथ हो सकते हैं, जो स्थिति के कारण और गंभीरता पर निर्भर करते हैं।
डॉ. योगेन्द्र सिंह, डायरेक्टर, (interventional cardiologist) मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून ने बताया कि “ज्यादातर लोग हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक को एक ही समझते हैं। भले ही दोनों दिल से जुड़ी हुई जानलेवा स्थिति है, लेकिन दोनों में काफी अंतर है। उन्होंने बताया कि हार्ट फेलियर में हार्ट उतना ब्लड पंप नहीं कर पाता है, जितना हमारे शरीर को जरूरत होती है, जबकि हार्ट अटैक में कोरोनरी धमनियों में रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है।
हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है या काफी कम हो जाती है। इसके अलावा हार्ट अटैक खून के जमने की वजह से होता है, जो कोरनरी आर्टरीज (खून की नलियां) में होता है। खून के जमने की वजह से खून के बहने में रुकावट आ जाती है, जिससे दिल तक खून और ऑक्सीज़न नहीं पहुंच पाता है। वहीं, हार्ट फेलियर होने का कोई एक वजह नहीं है, यह अलग-अलग बीमारियों की वजह से भी हो सकता है जैसे कोरनरी आर्टरी डीजीज, डायबीटीज, हाइपरटेंशन और दिल की अन्य बीमारियां”।
हार्ट फेलियर के लक्षणों के बारे में बताते हुए डॉ. योगेन्द्र ने बताया कि “हार्ट फेलियर का प्रारंभिक लक्षण थकावट व सांस फूलना है। इससे चलना-फिरना, सीढ़ी चढ़ना, और सामान ढोने की रोजना की गतिविधियां प्रभावित होती हैं, इसके अलावा खांसी या घरघराहट, (ऐसी खांसी जो ठीक नहीं हो रही) तरल पदार्थ (Fluid) जमा होने से बहुत तेजी से वजन बढ़ना, भूख की कमी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या सतर्कता में कमी, थकावट, एड़ियों, पैर या पेट में सूजन, बदहजमी तथा हृदय गति का बढ़ना है।
डॉ. योगेन्द्र ने बताया कि “हार्ट फेलियर को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे प्रबंधित करके हृदय की स्थिति के और बिगड़ने से रोका जा सकता है, लेकिन दवाईयों या पेसमेकर की मदद से दिल को और कमजोर बनने से बचाया जा सकता है। कुछ परिस्थितियों में ट्रांसप्लॉट करना ही इसका इलाज है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को हार्ट फेलियर से बचने के लिए उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण करना चाहिए, चिकित्सकों से नियमित तौर पर परामर्श करना चाहिए, धूम्रपान व शराब से दूर रहना चाहिए, उपयुक्त आहार के साथ सही जीवनशैली, रोजाना व्यायाम जैसे उपाय अपनाने चाहिए”।
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