उत्तर प्रदेश
सरकारी टीचर की नौकरी में तैनात पाकिस्तानी नागरिक, घपलेबाजी में शामिल सभी पर होगी कार्रवाई..
उत्तर प्रदेश राज्य में पाया गया कि एक पाकिस्तानी नागरिक सरकारी शिक्षक के रूप में कार्यरत है। जो कि गैरकानूनी है। यह पाकिस्तानी नागरिक रामपुर जिलें के आतिशबाज मोहल्ले के निवासी अख्तर अली कि बेटी फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर है जिसने 17 जून 1979 को पाकिस्तान निवासी सिबगत अली से निकाह कर लिया था। और पाकिस्तान चली गई थी। पाकिस्तान में फरजाना उर्फ माहिरा को पाकिस्तान की नागरिकता प्राप्त हो गई थी।
माहिरा ने पाकिस्तान में फुरकाना और आलिमा नाम कि दो बेटियों को जन्म दिया। निकाह के 3 वर्ष पश्चात माहिरा को उसके शौहर सिबगत अली ने तलाक दे दिया था। जिसके बाद वह अपनी दोनों बेटियों के साथ अपने मायके यानी रामपुर आ गई थी। पाकिस्तान कि नागरिकता प्राप्त होने के कारण माहिरा एक पाकिस्तानी नागरिक हैं। पाकिस्तान से भारत सिर्फ विजिटिंग वीजा के जरिए ही आवागमन किया जा सकता है।
वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी माहिरा पाकिस्तान वापस नहीं गई। जिसके चलते LIU द्वारा माहिरा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। साथ ही CJM कोर्ट द्वारा 25 जून 1985 को उसे दंड भी दिया गया था।
एक पाकिस्तानी नागरिक को भारतीय शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी करना इसका मतलब है इस साजिश में कई लोग शामिल हैं। आपको गृह मंत्रालय इस घपलेबाजी को लेकर सक्रिय हो गया है । शासन ने इस मामले में स्पष्ट आख्या के साथ जांच पड़ताल कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
मिली जानकारी अनुसार इस मामले में पहले भी जांच हो चुकी है। तत्कालीन जांच के दौरान DM-SP द्वारा BSA को दोषी मानते गृह मंत्रालय को मामले से अवगत कराया गया था। मामले के हाईप्रोफाइल होने के कारण उस वक्त मामले को दबा दिया गया था।
LIU ने किया था इस गड़बड़ी का पर्दाफाश पाकिस्तानी नागरिक माहिरा वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी अवैध रूप से भारत में ही रह रहीं थीं। 1985 को दंड मिलने के पश्चात भी वह अपनी ग़लती दोहरा रहीं थीं। LIU ने मारिया को वीजा अवधि बढ़वाने के लिए नोटिस जारी किया था।
इसी दौरान पता चला कि वह बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। जिसके बाद LIU ने BSA से छानबीन शुरू की । और यह बात सामने आई कि माहिरा को 22 जनवरी 1992 में बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक की नौकरी दे दी गई थी। जिसके बाद LIU ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चाधिकारियों को यह रिपोर्ट भेज दी थी।
हाईप्रोफाइल के चलते मामले को दबा दिया गया
मिली जानकारी के अनुसार इन लोगों कि सपा सरकार में ऊंची पहुंच थी। जिसके चलते एक कद्दावर नेता और अफसरों द्वारा इस मामले को दबा दिया गया था।
दोषियों को बचाने कि थी कोशिश
इस मामले की जांच को 2015 में गति दी गई थी। जांच के अनुसार तत्कालीन BASA के अतिरिक्त चयन बोर्ड में शामिल सभी को दोषी माना गया था। दोषियों को बचाने के चक्कर में पत्रावली भी दबा दी गई थी। प्रमुख सचिव गृह द्वारा 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश त्रिपाठी को इस मामले में तलब किया गया था। जिस पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने तत्कालीन SP, LIU, IB के अधिकारियों के साथ बैठक कर रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में BSA को इस मामले का दोषी माना गया था। जिसके बाद 2 जून 2015 को DM-SP द्वारा यह विस्तृत रिपोर्ट प्रमुख सचिव गृह मे सौंप दी गई थी।
फर्जी दस्तावेज और बिना सत्यापन के नौकरी
पाकिस्तानी नागरिक माहिरा का आवेदन से लेकर सभी दस्तावेज फर्जी थे। चयन बोर्ड ने नौकरी देने के दौरान कोई पुलिस सत्यापन नहीं कराया था। फर्जी दस्तावेजों के सहारे माहिरा ने बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी पायी थी। तत्कालीन BSA नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया था।
सितंबर 2022 में यह मामला दोबारा सामने आया था। जिसके चलते माहिरा को सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन इस प्रकरण में शामिल दोषियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं कि गई।
अब गृह मंत्रालय इस मामले को लेकर पूर्ण रूप से सक्रिय हो गया है। गृह विभाग ने स्पष्ट आख्या तलब करते हुए रिपोर्ट मांगी है कि उस वक्त दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई। जिसके चलते पुराने दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।
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