देहरादून
गजब: बच्चों को अपराध से बचाने के लिए बनाया गया बाल मित्र थाना, पांच महीने में ही हो गया बदहाल…
देहरादून। उत्तराखंड में बाल अपराधों पर अंकुश लगाने और बच्चों के लिए भयमुक्त वातावरण बनाने के लिए बनाया गया बाल मित्र थाना पांच महीने में ही बदहाल हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में प्रदेश के पहले बाल मित्र थाने का शुभारंभ जिस उद्देश्य से किया था वह सिर्फ हवा हवाई साबित हो रहा है। योजना तो यह थी कि डालनवाला कोतवाली में बनाए गए पहले बाल मित्र थाने की तर्ज पर अन्य थानों में भी बाल मित्र थाने खोले जाएंगे, लेकिन गढ़वाल मंडल में खोला गया ये पहला थाना ही जर्जर हालत में दिख रहा है।
बता दें कि अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले व गुमशुदा नाबालिगों को बाल मित्र थाने में लाकर विशेष काउंसलिंग कराने को लेकर बाल मित्र थाना खोला गया था। ताकि यहां पर लाने वाले बच्चों के दिल में भय का माहौल पैदा न हो। बाल संरक्षण आयोग व पुलिस विभाग के सामूहिक प्रयास से थाना शुरू किया गया। इसका शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 22 फरवरी को किया था। थाने में महिला दारोगा सहित अन्य पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन हालत यह हैं कि जिस महिला दारोगा को थाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उनकी ड्यूटी हरिद्वार में लगाई गई है। थाने का हाल यह है कि लंबे समय से यहां पर सफाई नहीं हुई। एक दीवार से बारिश का पानी अंदर दाखिल हो रहा है व कुर्सी टेबल भी जर्जर हालत में हैं।
आपको बता दें कि थाने में अब तक महज दो ही बच्चों को लाया गया, जिन्हें शाम को बाल सुधार गृह भेज दिया गया।थाने में रखी किताबों पर धूल जम रहीं हैं। डाइनिंग टेबल के नाम पर एक टूटा हुआ टेबल लगाया गया है। बाल मित्र थाने में जब बच्चे आते हैं तो वहां पर किसी की भी ड्यूटी लगा दी जाती है। जरूरत पड़ने पर वन स्टाप सेंटर से भी स्टाफ बुलाया जाता है। थाने के हालात खुद ही अपनी कहानी बयां कर रहे हैं और थाने के शुभारंभ के दौरान किए गए तमाम दावों को खोखला साबित कर रहे हैं। इसके साथ ही प्राशासन पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
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