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बड़ी खबर: अगर ये नेता और विधायक हो गए दोषी साबित तो 6 साल के लिए जाएगी कुर्सी, पढ़िए रिपोर्ट…
देहरादून: देश में ऐसे जनप्रतिनिधियों की कमी नहीं है जिनके खिलाफ क्रिमिनल केस चल रहे हैं। यदि इनके मामलों की सुनवाई में इन पर लगाए आरोप कोर्ट में साबित हो जाते हैं एवं इन्हें दोषी करार दिया जाता है तो इन पर कार्रवाई हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद कई नेता सामने आ रहे हैं। चार केंद्रीय व राज्यों के 35 मंत्रियों ने भी जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा आठ के तहत दर्ज आपराधिक मामलों की घोषणा की है। कानून की धारा आठ की उप धाराएं (1), (2) और (3) में प्रविधान है कि इनमें से किसी भी उप-धारा में उल्लिखित अपराध के लिए दोषी को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा। रिहाई के बाद भी वह आगामी छह साल तक अयोग्य बना रहेगा। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने कहा है कि कुल 363 सांसद व विधायक आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। अगर दोषसिद्धि हुई तो उन्हें जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अयोग्य करार दिया जाएगा।
एडीआर ने कहा कि भाजपा में ऐसे सांसदों व विधायकों की संख्या सबसे अधिक 83, कांग्रेस में 47 और तृणमूल कांग्रेस में 25 है। 24 मौजूदा लोकसभा सदस्यों के खिलाफ कुल 43 आपराधिक मामले लंबित हैं, जबकि 111 वर्तमान विधायकों के खिलाफ कुल 315 आपराधिक मामले 10 साल या उससे अधिक समय से लंबित हैं। बिहार में 54 विधायक ऐसे हैं, जो गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। केरल में ऐसे विधायकों की संख्या 42 है।राजनीति के अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का असर है कि माननीय अब अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों का खुलासा कर रहे हैं। आपको बता दें कि यदि कोई नेता अपराधी सिद्ध होता है तो अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा। उनकी रिहाई के बाद से छह साल की और अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा।
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एडीआर और नेशनल इलेक्शन वाच ने 2019 से 2021 तक 542 लोकसभा सदस्यों और 1,953 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण किया है। एडीआर के मुताबिक 2,495 सांसदों, विधायकों में से 363 (15 प्रतिशत) ने घोषणा की है कि उनके खिलाफ कानून में सूचीबद्ध अपराधों के लिए अदालतों द्वारा आरोप तय किए गए हैं। इनमें 296 विधायक और 67 सांसद हैं। गौरतलब है कि इससे पहले एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले ने प्रदेश के सांसदों और विधायकों को भी चिंता में डाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, हाईकोर्ट की इजाजत के बगैर सांसद और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले वापस नहीं होंगे। जबकि छत्तीसगढ़ में करीब 27 फीसदी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है। वहीं कांग्रेस के सांसद के खिलाफ भी एक आपराधिक मामला दर्ज है।
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