उत्तराखंड
उत्तराखंड: क्या प्रदेश में है संपूर्ण लॉक डाउन की दरकरार, 72 घंटे के आंकड़े भयावह। बेकाबू होते हालात..
देहरादून: उत्तराखंड कोरोना महामारी के कहर से कराह रहा है। प्रदेश सरकार को रोज आ रहे कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखकर सख्त रुख अपनाने की जरूरत है, अब कड़े कदम उठाने का समय आ गया है। प्रदेश सरकार को अब संपूर्ण लॉक डाउन के बारे में विचार करना चाहिए। प्रदेश की राजधानी देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर, नैनीताल की हालात सबसे ज्यादा खराब है तो वहीं उत्तरकाशी और टिहरी में भी संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं, साथ ही अन्य जनपदों में भी संक्रमण की काली छाया फेलती जा रही है। हर रोज आ रहे रिकॉर्ड तोड़ मामलों को देखते हुए सरकार को पूर्ण बंदी का फैसला ले लेना चाहिए। यही राज्य और राज्यवासियों के हित में सही होगा। आज की बात करें तो प्रदेश में 24 घंटे के भीतर 137 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है औऱ इसके साथ ही आज प्रदेश में 9642 नए कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं। प्रदेश में अभी तक कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 3430 पहुंच गया है और वहीं प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या 229993 पहुंच गई है। यह आंकड़े लोगों को भयभीत कर रहे हैं।
अगर पिछले 72 घंटो के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में 5 मई को 7728, 6 मई को 8517 और 7 मई को 9642 मामले सामने आए हैं। जबकि 5 मई को 137, 6 मई को 152 और 7 मई को 127 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, इन 72 घंटों में प्रदेश के 415 लोग कोरोना काल के गास बन गए हैं। वहीं बात करें जनपदों के हिसाब से 72 घंटे में आए कोरोना संक्रमण के मामलों की तो सबसे ज्यादा मामले राजधानी देहरादून में 9867, उधमसिंह नगर में 3459, नैनीताल 3164, हरिद्वार 2412, उतरकाशी में 1160, टिहरी में 1085, चमोली में 945, पौड़ी में 872, अल्मोड़ा में 865, पिथौरागढ़ में 548, चंपावत में 735, बागेश्वर में 466 और रुद्रप्रयाग में 377 से सामने आए हैं। अभी तक प्रदेश में 154132 लोग कोरोना से ठीक होकर आने घर चले गए हैं तो वहीं 32280 सेम्पल रिपोर्ट आई बाकी है। इस समय प्रदेश में कंटेन्मेंट जोन की संख्या 362 पहुंच गई है।
वर्तमान समय में प्रदेश सरकार के हर स्तर से हरसंभव प्रयास करने के उपरांत भी कोरोना संक्रमण में कोई कमी नजर नहीं आ रही है। इसी के साथ प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों की लम्बी छोड़ी फौज होने के बाद भी प्रदेश में कोरोना महामारी का बेकाबू होना कई सवाल खड़े करता है। प्रदेश में वर्तमान स्थिति तथा जीवन रक्षक उपकरणों व दवाओं की कमी भी सवाल खड़े करती है। प्रदेश के अस्पतालों की हालत बद से बदतर होती जा रही है, जहां न बैड की समय पर उपलब्धता है, न दवा, न इंजेक्शन न ही आक्सीजन की सुलभता। लोग मर रहे हैं या सही उपचार, दवाओं और उपकरणों की उपलब्धता के अभाव में मारे जा रहे हैं? सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रदेश में कोरोना पीड़ितों की संख्या निरंतर बढ़ने से सरकार की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। अब प्रदेश में कोरोना संक्रमण के प्रकोप को रोकने के लिए सरकार को संपूर्ण बंदी पर विचार करना ही चाहिए। इस महामारी की चेन को तोड़ने के लिए प्रदेश में कम से कम 15 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन लगए जाने की आवश्यकता है।
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