उत्तराखंड
उत्तराखंड सरकार की आर्थिक स्थिति खस्ता..वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार
UT-आमदनी कम और खर्च ज्यादा। जी हां, वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार को पखवाड़े के भीतर ही दोबारा कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ गया है। कार्मिकों के वेतन-भत्तों और पेंशन के भुगतान के साथ ही जरूरी खर्चो की पूर्ति के लिए सरकार फिर अगले मंगलवार तक 300 करोड़ कर्ज बाजार से लेगी।
सरकार को लगातार तीसरे पखवाड़े में यह कर्ज उठाना पड़ रहा है। इसके साथ ही बाजार से कुल कर्ज बढ़कर 1300 करोड़ हो जाएगा। बीती 30 जुलाई को भी तमाम देनदारी देखते हुए 250 करोड़ का कर्ज बाजार से उठाया गया था।
सरकार कार्मिकों के साथ महानुभावों पर खासी दरियादिल है। बीते दिनों महानुभावों के मानदेय में भी तकरीबन दो गुना इजाफा किया गया। प्रदेश में सरकारी, अर्द्ध सरकारी, आउटसोर्सिग समेत विभिन्न स्तरों पर नियुक्त किए गए कार्मिकों के वेतन और मानदेय के साथ ही पेंशन पर सरकार को प्रतिमाह करीब डेढ़ हजार करोड़ खर्च करना पड़ रहा है।
सीमित आमदनी के चलते प्रतिमाह बढ़ते खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए सरकार को बार-बार ऋण लेना पड़ रहा है। बीते चार महीने में 1000 करोड़ कर्ज लिया गया था। अब पांचवें महीने अगस्त के पहले पखवाड़े में ही दोबारा 300 करोड़ कर्ज लेने को रिजर्व बैंक से राज्य सरकार को अनुमति मिल गई है।
वित्त सचिव अमित नेगी का कहना है कि राज्य में विकास कार्यो के लिए कर्ज लिया जा रहा है। कर्ज राज्य सरकार के लिए तय सीमा के भीतर ही है।
ई-आकलन पोर्टल से बजट डाटा साझा करने के निर्देश- राज्य योजना आयोग के लिए तैयार ई-आकलन पोर्टल में कोषागार के बजट डाटा से संबंधित वैब सर्विसेज को साझा नहीं किया जा रहा है। इससे पोर्टल पर वित्तीय वर्ष 2019-20 से संबंधित डाटा की फीडिंग नहीं हो पाई। वित्त सचिव अमित नेगी ने इस संबंध में अपर सचिव वित्त और कोषागार निदेशक को पोर्टल से वेब सर्विसेज को साझा करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पोर्टल में योजनाओं के प्रभावी अनुश्रवण की व्यवस्था बहाल हो सकेगी। दरअसल कोषागार का नया डाटा नए आइएफएमएस पर ट्रांसफर किए जाने के कारण ई-आकलन में शेयर की जा रही वेब सर्विसेज में भी अड़ंगा लगा हुआ है।
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