देहरादून
उत्तराखंड: शपथ ग्रहण से पूर्व ही कांटे बिछने शुरू, मंत्रियों के शपथ ग्रहण पर भी संशय…
देहरादून: पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के भाजपा हाईकमान के फैसले से प्रदेश भाजपा में कोहराम की स्थिति बनी हुई है हालात यह है कई वरिष्ठ नेता बेहद नाराज हैं नाराजगी इस बात को लेकर है कि आखिरकार पार्टी आलाकमान ऐसा फैसला कैसे कर सकती है कि तमाम सीनियर के होते हुए केवल 2 बार के विधायक को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी जाए। इस फैसले से नाराज चल रहे सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत के बाद सीनियर मंत्री और विधायक विशन सिंह चुफाल भी शामिल हो गए हैं और साथ ही कई विधायक भी इस फैसले से नाराज हैं। बता दें कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद से ही उत्तराखंड के राजनीतिक हलचल मची हुई है। जिसके बाद 4 महीने भी अपनी कुर्सी पर नहीं टिकने वाले तीरथ सिंह रावत जाते-जाते और भी कई रिकॉर्ड बना कर गए हैं। वहीं अपनी पार्टी की छवि को बचाने के लिए और पार्टी का दबदबा राज्य में बरकरार रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा संवैधानिक मजबूरी था।
मगर विपक्ष इस बात को पूरी तरह नकार चुका है और भाजपा के ऊपर लगातार तीखे कटाक्ष और प्रहार कर रहा है। उपचुनावों को लेकर कई तरह के प्रश्न उठ रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में आज रविवार को शपथ ग्रहण करने जा रहे पुष्कर धामी की राह में शपथ ग्रहण से पूर्व ही कांटे बिछने शुरू हो गए हैं। राज्य के कम से कम तीन काबीना मंत्रियों सहित कई विधायकों में उनकी ताजपोषी को लेकर नाराजगी बताई जा रही है। स्थिति यहां तक हो गई है कि रविवार की शाम मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी व खासकर इस दौरान मंत्रियों के शपथ ग्रहण करने को लेकर भी संशय पैदा हो गया है। अब यह इस बात पर निर्भर करेगा कि केंद्रीय नेतृत्व शाम तक के बचे हुए समय में कितना डैमेज कंट्रोल कर पाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंत्री चुफाल ने फोन कर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से अपनी नाराजगी जताई। मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी को पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी करनी चाहिए थी।
वरिष्ठ नेताओं को एक युवा नेतृत्व के नीचे कार्य करना रास नहीं आ रहा है। जिसपर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुटकी लेते हुए कहा है कि एक लंबी रेस के घोड़े के आने से लगातार बढ़ती उम्र के साथ ‘उनके लिए अंगूर खट्टे ही रहने वाले है’। वहीं प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि उत्तराखंड में बीजेपी की लापरवाही और न समझी का परिणाम है कि आज मात्र 6 महीने के अतंराल के बाद बीजेपी को अपना दूसरा मुख्यमंत्री बदलने पर मज़बूर होना पड़ा। आज से साढ़े 4 साल पहले उत्तराखंड एक खुशहाल प्रदेश था, उस समय यहां बेरोज़गारी का दर 1.5% थी लेकिन आज 11% है। वहीं दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तीरथ सिंह रावत और बीजेपी को तीखे सवालों और कटाक्ष से घेरते हुए ट्वीट किया कि बीजेपी गंगोत्री सीट में रावत जी को चुनाव लड़ाने से डर रही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी के गंगोत्री सीट के सर्वे के मुताबिक आम आदमी पार्टी के कर्नल कोठियाल भारी मतों से जीत रहे थे और यही वजह है कि तीरथ सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी ने हार के डर से इस्तीफा दिलवाया। उन्होंने ट्वीट में लिखा” गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक उत्तराखंड में उपचुनाव करवाए जा सकते थे। इसका मतलब है कि तीरथ सिंह रावत जी ने संवैधानिक संकट की वजह से इस्तीफा नहीं दिया है। भाजपा के गंगोत्री सीट के सर्वे में आम आदमी पार्टी भारी मतों से जीत रही थी और यही वजह रही कि तीरथ सिंह रावत जी को इस्तीफा दिलवाया गया।” वहीं मनोनीत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों तीरथ सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और भुवनचंद्र खंडूरी से मुलाकात भी की है। वहीं कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि ये महज अफवाह है और सभी मजबूती के साथ सरकार के साथ खड़े हैं। बीजेपी विधायक धन सिंह रावत ने कहा कि कहीं कोई नाराजगी नहीं है, मुझे नहीं लगता उत्तराखंड में कोई नाराज होगा। सभी पार्टी के निर्णय से खुश हैं। माना जा रहा है कि भाजपा ज्यादातर पुराने मंत्रियों को ही पुष्कर धामी की टीम में शामिल करने की तैयारी है। आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर इक्का-दुक्का सीटों पर ही फेरबदल होने के आसार हैं। कैबिनेट में कुमाऊं मंडल के वजन को देखते हुए संतुलन के लिहाज से उपमुख्यमंत्री का पद गढ़वाल के खाते में आ सकता है। सूत्रों की मानें तो यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूड़ी को यह पद दिया जा सकता है। ऋतु खंडूड़ी के जरिये मंत्रिमंडल में महिला सदस्यों की कमी भी दूर की जा सकती है। उप मुख्यमंत्री पद पर नए चेहरे को आजमाया जा सकता है या किसी पुराने को यह जिम्मेदारी दी जाएगी, इसे लेकर भी अंदरखाने मंथन जारी रहने के संकेत हैं। चर्चा यह भी है कुछ अन्य विधायकों के दावे पर भी पार्टी विचार कर सकती है।
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