टिहरी गढ़वाल
दहशत: टिहरी डैम का जलस्तर बढ़ने से बड़ी मुसीबत, कई मीटर सड़क झील में समाई…
टिहरी: लगातार हो रही बारिश से टिहरी डैम की झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे बाढ़ का खतरा तो है ही, वहीं चिन्यालीसौड़ पुरानी जोगत रोड ब्लॉक मुख्यालय के पास लगभग सड़क का 10 मीटर हिस्सा झील में समा गया है। जिससे विकासखंड चिन्यालीसौड़ की आवासीय कालोनी, बिजलवाण मौहल्ला एवं ब्रिज को खतरा उत्पन्न हो गया है। सुरक्षा की दृष्टि से इस मोटर मार्ग को पुलिस द्वारा आवाजाही के लिए बंद करवा दिया गया है। स्थानीय लोगों द्वारा टीएचडीसी से सुरक्षात्मक कार्य करवाए जाने की मांग की जा रही है। टिहरी झील का जलस्तर इस समय 828 मीटर है। झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई है। साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी है। इससे ग्रामीण दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं।
आपको बता दें कि इस बार सरकार ने झील का जलस्तर 830 मीटर तक भरने की अनुमति दी है, जिससे झील के तटवर्ती गांवों और गमरी- दिचली पट्टियों को जोड़ने वालों संपर्क मोटर मार्गों को झील के कटाव के कारण खतरा हो सकता है। इससे पहले टिहरी झील में जलभराव की अनुमति 825 आरएल मीटर थी। लेकिन हाल ही में सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील में पानी भरने की क्षमता को बढ़ाकर 830 आरएल मीटर कर दिया है। तब झील का जलस्तर 825 आरएल मीटर तक पहुंचने पर गांवों में भारी नुकसान होता था, जिसका खामियाजा झील के आसपास रह गए ग्रामीणों को उठाना पड़ता था। अब स्थिति और भयावह हो गई है। टिहरी झील के जलस्तर बढ़ने का असर करीब 35 से 40 किलोमीटर दूर तक देखा जा रहा है. झील से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ तक देखा जा रहा है। दबाव पड़ने से सड़कों और मकानों में दरारें पड़ने लगीं हैं। इसका असर रौलाकोट, उप्पू और तिवाड़ी, गड़ोली और कंगसाली समेत अन्य गांवों में देखने को मिल रहा है।
टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से भिलंगना घाटी के भी दर्जनों गांव प्रभावित हैं। यहां पिलखी, ननगांव और उत्थड़ गांवों में भी कई मकानों में दरार पड़ने लगी है। उत्तराखंड सरकार ने बिना जमीन उपलब्ध हुए टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने की अनुमति दे दी, जिसके खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक 415 परिवारों का विस्थापन नहीं होता है, तब तक झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर तक भराव की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी।नलेकिन सरकार और टीएचडीसी की मिलीभगत होने के कारण झील का जलस्तर बढ़ाने की अनुमति दे दी गई और झील के आसपास के गावों को मुसीबत में डाल दिया गया।
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