देश
आओ गंदगी और प्रदूषण रोकने की करें पहल, नदियों को स्वच्छ जल के साथ बहने दें…
आज संडे है । बात होगी जेपी दत्ता की 21 साल पहले आई फिल्म रिफ्यूजी के गाने से, पंछी नदियां पवन के झोंके, कोई सरहद न इन्हें रोके… किसी भी देश के लिए नदी, झरने, झील, पहाड़ और हरी-भरी वादियां अनमोल उपहार हैं। इन्हें देख कर मन को बहुत ‘सुकून’ मिलता है। यह प्राकृतिक नजारे देश की सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं। आइए अब बात को आगे बढ़ाते हैं। आज सितंबर महीने का आखिरी रविवार को हम विश्व नदी दिवस के रूप में मनाते हैं। नदियों से कल-कल बहता पानी मन को मोह लेता है। इस दिवस का उद्देश्य नदियों में बढ़ रहा जल प्रदूषण को कम करना है। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में तेजी से हो रहे विकास और प्रकृति के प्रति लापरवाही के चलते नदियों का जल बहुत ज्यादा दूषित होता जा रहा है और इस कारण जलवायु में भी परिवर्तन हो रहा है जिससे कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे में धीरे-धीरे नदियों का जल सूख रहा है। उन सभी नदियों का जल बचाने के दूषित होने से रोकना ही विश्व नदी दिवस का महत्व है। ‘यह दिवस विश्व के सभी लोगों को संदेश देता है कि जितना ज्यादा हो सके पानी को दूषित हाेने से बचाइए, क्योंकि पानी के बिना जीवन नही है। पानी है तो जीवन है’। बता दें कि इस वर्ष के आयोजन का विषय (थीम) एक बार फिर ‘हमारे समुदायों में जलमार्ग है, जिसमें शहरी जलमार्गों की सुरक्षा और पुनर्स्थापना की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया है।
नदियों को स्वच्छ करने के लिए चलाया जाता है जागरूकता अभियान—
हर वर्ष सितंबर के आखिरी सप्ताह के रविवार को विश्व नदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश में कई स्वयंसेवी संगठन नदियों को साफ करने के लिए जागरूक अभियान चलाते हैं। प्रदूषण की वजह से जलवायु में भी परिवर्तन हुआ है जिसके कारण कई नदियां सिकुड़ती जा रही हैं। विश्व नदी दिवस पर लाखों लोग और कई अंतरराष्ट्रीय संगठन नदियों के बचाव के लिए अपना योगदान करते हैं। इस दिन लोग संकल्प लेते हैं कि वे नदियों को प्रदूषित नहीं करेंगे और उन्हें प्रदूषित होने से बचाएंगे। यहा दिन लोगों में नदियों के महत्व उसकी स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी लाता है। विश्व नदी दिवस पर सभी देश एकजुट होकर नदियों के संरक्षण के विषय पर बात करते हैं। इस दिन को एक ‘पर्व’ की तरह भी मनाया जाता है। भारत समेत तमाम देशों में विश्व नदी दिवस पर आयोजन किए जाते हैं जिसमें लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इसमें नदियों की सफाई करने से लेकर ‘रिवर राफ्टिंग’ जैस कार्यक्रम होते हैं। जिसमें लोग नदियों की सफाई के साथ घूमने का लुफ्त भी उठाते हैं।
नदियों को साफ बनाने के लिए मोदी सरकार का अभियान गति नहीं पकड़ सका—
नदियां हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। नदियां जीवन दायिनी हैं। प्राकृतिक रुप से बहुत सारे जीव-जंतु और प्राणी जल के लिए नदियों पर ही निर्भर हैं, लेकिन पर्यावरण में फैलता हुआ प्रदूषण नदियों के लिए अभिशाप बन गया है। सबको जीवन देने वाली नदियों का अस्तित्व खुद खतरें में हैं। कुछ नदियां अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं तो कुछ लुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे में नदियों का संरक्षण करना अति आवश्यक हो गया है। यहां हम आपको बता दें कि साल 2014 में केंद्र की सत्ता पर जब भारतीय जनता पार्टी आई थी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में गंगा समेत तमाम नदियों को ‘स्वच्छता अभियान’ चलाने के लिए बड़ी पहल की थी। इसके लिए एक अलग मंत्रालय का गठन भी किया गया था। 7 साल बाद भी नदियों में प्रदूषण और गंदगी रोकने और स्वच्छ बनाने की दिशा में कोई खास अंतर नहीं आया है। केंद्र सरकार का यह गंगा स्वच्छ अभियान उतनी तेजी के साथ आगे नहीं बढ़ सका जैसे पहले उम्मीद लगाई जा रही थी। आज भी देश में नदियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसके पीछे लोग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। देशवासियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और नदियों में कूड़ा-कचरा और प्रदूषण को रोकने के लिए आगे आना होगा।
साल 2005 में अंतरराष्ट्रीय नदी दिवस मनाने की हुई थी शुरुआत–
वर्ष 2005 में सभी देशों के द्वारा जल संसाधनों की देखभाल के लिए या फिर पानी के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए सयुंक्त राष्ट्र ने वॉटर फॉर लाइफ डिकेड (विश्व नदी दिवस) को घोषित किया। तब से लेकर अंतरराष्ट्रीय नदी दिवस प्रतिवर्ष 26 सितम्बर को मनाया जाता है। इस दिवस का प्रस्ताव रिस्पांस में मार्क एंजेलो के तहत रखा गया। इसके अलावा बिट्रिश कोलंबिया में कैनडियन लोग बिट्रिश कोलंबिया रिवर डे मनाते है। भारत, ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और बांग्लादेश समेत कई देशों में नदियों की रक्षा को लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। अंतरराष्ट्रीय विश्व नदी दिवस पर आओ हम भी अपने नदियों को साफ-सुथरा बनाएं।
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