उत्तराखंड
खुशखबरी: शिव भक्तों के लिए आदि कैलास यात्रा शुरू, पहली बार इस रूट से पंहुचे श्रद्धालु…
पिथौरागढ़: श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी है। दो साल से बंद कैलास यात्रा फिर से शुरू हो गई है। सात सदस्यीय एक यात्री दल ने आदि कैलास और गणेश पर्वत की दारमा से व्यास वैली के रास्ते परिक्रमा सकुशल पूरी की है। आपदा में रास्ते बह जाने के कारण अब इस नए रुट से यात्रा की गई है। इस दल के नाम पहली बार दारमा से व्यास वैली होते हुए आदि कैलास एवं गणेश पर्वत की परिक्रमा पूरी करने का रिकॉर्ड बना है। इससे पहले इस रास्ते किसी भी यात्री दल ने आदि कैलास की परिक्रमा नहीं की है।
वर्षभर बर्फ की सफेद चादर में लिपटा हुआ भोलेनाथ का निवास स्थान और तमाम रहस्यों से भरपूर कैलास मानसरोवर। जिसके दर्शनों के लिए हर भक्त न केवल भोलेनाथ से प्रार्थना करता है बल्कि दर्शन पाकर स्वयं को धन्य भी समझता है। मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलास मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है जो ‘ऊं’की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है। लेकिन बीते दो सालों से कोविड के चलते कैलास मानसरोवर की यात्रा स्थगित हो गई थी। चीन के साथ रिश्तों की उठापटक और कोविड की बरकरार समस्या का खतरा यात्रा नही हो पाई है। अब कोरोना काल के बाद सीमांत पिथौरागढ़ में पर्यटन कारोबार को पटरी पर लाने में एवरेस्ट विजेता योगेश सिंह गब्र्याल और शीतल राज की संस्था ‘हिमालयन गोट्स’ आगे आई है।
संस्था के पर्वतारोहियों के साथ टीम लीडर गणेश सिंह दुग्ताल के नेतृत्व में आठ सदस्यीय यात्री दल आदि कैलास की परिक्रमा के लिए 10 सितंबर को धारचूला से आगे के लिए रवाना हु़आ। इस दल में यात्रियों की मदद के लिए हिमालय गोट्स संस्था के पर्वतारोही जयेन्द्र फिरमाल, वंदना खैर, मुकेश गब्र्याल, भूपेश खैर, राकेश नगन्याल ने कदम-कदम पर मार्गदर्शन किया। दुग्तू से यात्री दल के एक सदस्य सुब्रमण्यम को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत के कारण आधे रास्ते से वापस लौटना पड़ा। पश्चिम बंगाल के यात्री दल के सात सदस्यों को इन पर्वतारोहियों ने आपदा में बह गए रास्तों और दिक्कतों के बीच पहली बार 5549 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिमला पास दर्रे को पार कर आदि कैलास तक पहुंचाया।पहली बार एक यात्री दल के आदि कैलास और गणेश पर्वत की परिक्रमा पूरी करने के साथ सीमांत में आध्यात्मिक यात्रा के द्वार खुल गए हैं। अब यहां देश ही नहीं विश्व के पर्यटक आकर आस्था के केन्द्र भगवान शिव की तपस्थली के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकेंगे।
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