उत्तराखंड
Big News: तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद, बम बम भोले के गूंजे जयकारे…
रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा अब समाप्ति की ओर है। धाम के कपाट बंद होने की शुरुआत हो चुकी है। शनिवार को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। शनिवार दोपहर 12 बजे मंदिर के कपाट बंद हुए। कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालुओं भोले के भजनों पर मन्दिर परिसर में झूमते रहे। साथ ही स्थानीय महिलाओं ने मांगल गीतों के साथ डोली को धाम से विदा किया। इस मौके पर भक्तों की मौजूदगी में बम-बम भोले के जयकारों से घाटी गुंजायमान हुई। देर सांय डोली चोपता पहुंची। इस दौरान रास्ते में डोली का भव्य स्वागत किया गया।
आपको बता दें कि शनिवार सुबह प्रातः पांच बजे से मंदिर में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई। प्रातःकाल भगवान दूध, जल, दही, शहद से अभिषेक किया गया। जिसके बाद पूजा अर्चना की गई। इसके बाद भगवान का श्रृंगार कर मंदिर में भोग लगाया गया। स्वयंभू शिवलिंग को फूल, मेवे, फल, अक्षत और भस्म से समाधि दी गई। जिसके बाद तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद किए गए। कपाट बंद होते ही तुंगनाथ की चल विग्रह डोली ने अपने निशानों के साथ मंदिर की तीन परिक्रमा की। इसके बाद डोली भूतनाथ मंदिर से होकर चोपता की ओर रवाना हुई।
उत्सव डोली दोपहर ढाई बजे पहले पड़ाव चोपता में रात्रिविश्राम के लिए पहुँची। उत्सव डोली 31 अक्टूबर चोपता से प्रस्थान कर रात्रिविश्राम के लिए भनकुन पहुँचेगी। 1 नवंबर को यहां से रवाना होकर शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ पहुंचेगी। जहां पर छह माह तक शीतकाल में भगवान की पूजा अर्चना होगी। अब तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट 6 माह बाद खोले जाएगें। बता दें कि इस यात्रा वर्ष कोरोनाकाल के बावजूद साढे पांच हजार तीर्थयात्रियों ने तुंगनाथ भगवान के दर्शन को पहुंचे। वहीं डोली के आने के शुभ अवसर पर तुंगनाथ मेले का आयोजन किया जा रहा है।
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