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महिला दिवस विशेष: बड़े फैसलों और हौसलों के साथ महिलाओं ने हर क्षेत्र में बनाया अपना सशक्त मुकाम…
आज का दिन आधी आबादी के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है। एक ऐसा दिन जो सिर्फ महिलाओं के विकास और उत्थान को लेकर समर्पित है। आज 8 मार्च है। यह दिन ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के रूप में दुनिया भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के तौर पर मनाया जाता है। अगर हम अपने देश की बात करें तो मौजूदा समय में समाज में बड़ा परिवर्तन आया है। महिलाएं हर क्षेत्र में सशक्त भूमिका में है। भारत समेत विश्व के तमाम देशों में महिलाओं की जो स्थिति बेहतर हुई है उसका बड़ा योगदान महिला दिवस भी रहा है। देश की जांबाज महिला फाइटर प्लेन भी उड़ा रहीं हैं। महिलाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्नति कर रही हैं।
खेल से लेकर तकनीक और सेना से लेकर राजनीति में महिलाओं की सहभागिता तेजी के साथ बड़ी है। हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस किसी न किसी थीम पर आधारित होता है । संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1996 से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को एक स्पेशल थीम के साथ मनाना शुरू किया। इसके बाद हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार की थीम में ‘लैंगिक समानता’ के ऊपर जोर दिया गया है। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में आज महिलाएं स्वयं बड़े-बड़े फैसले ले रही हैं। नारी अब अपने फैसलों को लेकर पुरुषों पर निर्भर नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ पुरुष भी महिलाओं को लेकर संवेदनशील हो रहे हैं।
इस दिन दुनिया भर में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी और उन्हें प्रेरित करने के लिए इसका आयोजन वैश्विक स्तर पर किया जाता है। महिला दिवस का वास्तविक मकसद यह है कि महिलाओं को जीवन में बराबरी का दर्जा असल मायने में मिले, इसलिए इस दिन को विश्व में खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
अभी भी देश के कई भागों में महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर जागरूक नहीं हैं–
आज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर का सम्मान नहीं मिलता। कई मामलों और क्षेत्रों में ‘यह तो औरत है’ कह कर पीछे धकेल दिया जाता है या आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। समाज में महिलाओं को सम्मान और सुरक्षित वातावरण देने के लिए भारतीय संविधान में कुछ अधिकार दिए गए हैं। कई महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में पता नहीं होता, जिसके चलते उन्हें कई बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जो उन्हें कानूनी तौर पर नहीं करना चाहिए। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान देश में महिला उत्पीड़न की खबरें भी सामने आई थी। लॉकडाउन के समय दुनिया भर के देशों से घरेलू हिंसा के बढ़े हुए मामलों की खबरें हम सभी सुनते और पढ़ते रहे और ये सिलसिला अभी भी जारी है। अधिकांश महिलाओं ने घर के काम और देखभाल की जिम्मेदारियां बढ़ जाने का उल्लेख किया। एक तरफ घर में संघर्ष रहा, दूसरी तरफ बाहर भी नौकरी के अवसर कम कर दिए गए। आइए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास के बारे में और क्या है इसका महत्व।
1908 में मजदूरों के आंदोलन के बाद महिला दिवस मनाने की हुई शुरुआत–
1908 में एक मजदूर आंदोलन के बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी। अमेरिका के न्यूयॉर्क में महिलाओं ने मार्च निकालकर नौकरी के घंटे कम करने और वेतनमान बढ़ाने की मांग की थी। महिलाओं को उनके आंदोलन में सफलता मिली और इसके एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया। यह बात 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड और पीस के लिए हड़ताल की थी। महिलाओं ने अपनी हड़ताल के दौरान अपने पतियों की मांग का समर्थन करने से भी मना कर दिया था और उन्हें युद्ध को छोड़ने के लिए राजी कराया था। इसके बाद वहां के सम्राट निकोलस को उसका पद छोड़ना पड़ा था और अंत में महिलाओं को मतदान का अधिकार भी दिया गया था। रूस की महिलाओं द्वारा यह विरोध 28 फरवरी को किया गया था। वहीं यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस एक्टिविस्ट्स को सहयोग करने के लिए रैलियां की थीं, इसी कारण 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी, जो अभी तक जारी है।
महिलाओं के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए भी जाना जाता है यह दिवस–
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विश्व भर में एक उद्देश्य यह भी रहता है कि इस दिन महिलाओं के द्वारा किए गए विभिन्न क्षेत्रों में योगदान को के लिए उनको याद भी किया जाता है। उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को प्रत्येक आठ मार्च को सम्मानित भी करने की परंपरा रही है। भारत में भी महिलाओं की दशा पहले से बहुत बेहतर हुई है आज हमारे देश में हर बड़े क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान भी कम नहीं है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा महिलाओं को लेकर समाज के लोगों को जागरूक करने, महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उन्हें प्रेरित करने के लिए यह दिवस बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
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