उत्तराखंड
अलग-थलग पड़ेः कुछ समय पहले तक इन तीन पूर्व कैबिनेट मंत्रियों की तूती बोलती थी आज ‘तनहाई’ में…
देहरादूनः आइए आज चर्चा करते हैं पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान उन नेताओं की जिनके जल्दबाजी में लिए गए फैसले भारी पड़ गए। यह हैं उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के तीन कद्दावर नेता । यह तीनों अभी कुछ समय पहले तक कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। लेकिन जल्दबाजी में लिया गया फैसला इन नेताओं को रास नहीं आया। इसके साथ भाजपा से टकराव भी इन्हें उल्टा दांव पड़ गया । अब यह अलग-थलग के साथ गुमनाम हो गए हैं और जल्दबाजी में लिए गए अपने फैसले को लेकर जरूर आकलन करने में जुटे हैं। आइए जानते हैं इन तीनों नेताओं के बारे में।
उत्तराखंड में हरक सिंह रावत का जल्दबाजी में लिया गया फैसला नुकसान पहुंचा गया–
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पूरी कैबिनेट में खूब तूती बोलती थी। लेकिन उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह रावत की ‘हनक’ ने देवभूमि की सियासत में उन्हें अज्ञातवास में पहुंचा दिया है। हरक कांग्रेस पार्टी में यह सोच कर आए थे कि अगली सरकार में उनका रुतबा बढ़ जाएगा। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाना उल्टा पड़ा। पिछले काफी दिनों से हरक सिंह रावत न कांग्रेस के रहे न भाजपा के। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को कांग्रेस भी इस बार स्वीकार नहीं कर सकी है। पिछले दिनों हुई कांग्रेस कई मीटिंग में हरक सिंह रावत कहीं दिखाई नहीं पड़े। फिलहाल हरक सिंह रावत उत्तराखंड की सक्रिय सियासत से दूर तनहाई में है।
यूपी में योगी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की भाजपा से टक्कर पड़ी भारी–
अब बात करेंगे उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की। स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें लगने लगा कि इस बार प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने जा रही है। चुनाव से कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अकड़ के साथ भाजपा सरकार छोड़कर समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली। मौर्य का यह फैसला भी उल्टा पड़ गया। मौर्य ने भाजपा से सीधे टकराव भी ले लिया था। अखिलेश यादव ने उन्हें कुशीनगर की फाजिलनगर विधानसभा सीट से उतारा। लेकिन वह भाजपा प्रत्याशी से बुरी तरह चुनाव हार गए। यही नहीं राज्य में सपा की सरकार भी नहीं आ सकी जिससे उनके अरमानों पर पूरी तरह से पानी फिर गया। मौजूदा समय में स्वामी प्रसाद मौर्य भी अज्ञातवास में है। पहले चर्चा थी कि अखिलेश उन्हें विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के चुनाव में खड़ा कर सकते हैं। लेकिन सपा ने उन्हें एमएलसी उम्मीदवार नहीं बनाया। अब स्वामी प्रसाद अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य जो बदायूं से भाजपा की सांसद हैं। बात करते हैं बिहार की।
बिहार में मुकेश सहनी से उनकी पार्टी भी छिन गई और मंत्री पद भी चला गया—
पिछले कुछ दिनों से देश में अगर किसी नेता ने सब कुछ खोया है तो वह नीतीश सरकार के मुकेश सहनी है । सहनी की पार्टी के न तो विधायक बचे हैं और न ही अब वो मंत्री रह गए हैं। एमएलसी का कार्यकाल भी जुलाई में खत्म हो रहा है। ऐसे में मुकेश सहनी ने जहां से अपना सियासी सफर शुरू किया था, वहीं पर फिर से पहुंच गए हैं। ऐसे में सहनी अब आगे के सियासी राह के लिए नए राजनीतिक विकल्प तलाशने में जुट गए हैं। 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी के साथ गठबंधन तोड़कर बीजेपी से हाथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी से चार विधायक जीते थे। इनमें से एक विधायक का निधन हो चुका है और बाकी तीनों विधायक राजू सिंह, मिश्रीलाल यादव और स्वर्णा सिंह ने सहनी का साथ छोड़कर बीजेपी का का दामन थाम लिया हैं। स्पीकर ने उन्हें बीजेपी में विलय की मान्यता भी दे दी है, जिसके चलते वीआईपी के टिकट पर जीतते तीनों विधायक अब बीजेपी का हिस्सा हैं। मुकेश सैनी भी यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से सीधे टकरा गए थे। यही नहीं उन्होंने धमकी देते हुए गोरखपुर सदर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपना उम्मीदवार भी खड़ा कर दिया था। यहीं से भाजपा और सहनी की सियासी जंग की शुरुआत भी हो चुकी थी। बता दें कि मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में सेट डिजाइन का काम छोड़कर मुकेश सहनी ने सियासत आए। यह बात 2014 लोकसभा चुनाव की बात है, जब मुकेश सहनी ‘स्टार कैंपेनर के तौर पर बिहार में बीजेपी के लिए प्रचार किया। यहीं से सियासी चस्का लगा और उन्होंने निषाद समुदाय को एससी आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर 2018 में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का गठन किया। मौजूदा समय में मुकेश सहनी बिहार में एमएलसी सदस्य हैं और 3 महीने बाद जुलाई महीने में खत्म हो रहा है। मौजूदा समय में मुकेश सहनी भी अलग-थलग पड़ गए हैं।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 उत्तराखंड टुडे के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 उत्तराखंड टुडे के फेसबुक पेज़ को लाइक करें
Latest News -
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने कुंभ मेले की तैयारियों के संबंध में बैठक ली
26 किमी रिस्पना – बिंदाल एलिवेटेड रोड के लिए केंद्र से अनुरोध- सीएम धामी
जिलाधिकारी ने ली नगर निकायों की समीक्षा बैठक, विकास कार्यों में तेज़ी लाने के दिए निर्देश
चम्पावत: बाराकोट ब्लॉक में स्वास्थ्य सेवाओं का जिलाधिकारी ने किया निरीक्षण
मुख्यमंत्री धामी ने उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड राज्य के बीच परिसम्पति मामलों की समीक्षा की
