उत्तराखंड
हनुमान जयंती विशेष: ऐसे करें हनुमान जयंती पर अंजनी पुत्र की पूजा,मिलेगा लाभ…
धर्म। आज शनिवार को श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। त्रेता युग में चैत्र मास की पूर्णिमा पर शिव जी के अंशावतार हनुमान जी का जन्म माता अंजनी और पिता केसरी के यहां हुआ था। 16 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा, हनुमान जयंती और शनिवार का योग होने से इस दिन का महत्व बढ़ गया है। इस दिन सुंदरकांड का और हनुमान चालीसा का पाठ करें, पूजा करें। शनिवार होने से इस दिन शनि देव के लिए तेल का दान करें।
ऐसे मना सकते हैं हनुमान जन्मोत्सव
हनुमान जी के जन्मोत्सव पर सुबह जल्दी उठें और नहाने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। घर के मंदिर में गणेश पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें। हो सके तो इस दिन 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ करें।
हनुमान जी के अलग-अलग नाम और उनके कारण
मारुति – मरुत का अर्थ होता है पवन। मरुत होने होने से हनुमान जी को मारुति कहा जाता है।
हनुमान – जब अंजनी पुत्र छोटे थे, उस समय उन्होंने सूर्य को निगल लिया था। तब इन्द्र ने वज्र से अंजनी पुत्र पर प्रहार किया था, जिससे उनकी हनु अर्थात ठोड़ी पर चोट लगी थी। इस वजह से इन्हें हनुमान कहा जाता है।
बजरंग – ब्रह्मा जी के वरदान से इन्हें वज्र के समान शरीर प्राप्त हुआ है। हनुमान जी पर वज्र का भी असर नहीं होता है। इस वजह से इन्हें बजरंग कहा जाता है।
श्रीराम को समर्पित है हनुमान जी का जीवन
हनुमान जी ने अपना जीवन श्रीराम को समर्पित किया है। वे हर पल श्रीराम की भक्ति में लीन रहते हैं। हनुमान जी ने श्रीराम की मित्रता सुग्रीव से कराई, लंका में सीता का पता लगाया, लंका दहन किया, संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए। हनुमान जी के इन कामों की वजह से श्रीराम खुद को हनुमान जी का ऋणी मानते हैं। हनुमान जी अष्टचिंरजीवियों में से एक हैं यानी वे हमेशा जीवित रहेंगे।
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