देहरादून
मानवता: जीते जी ख़ाकी में अदा कर रहे फ़र्ज़, मरने के बाद भी शरीर आएगा काम…
देहरादूनः दुनिया में इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं है। एक इंसानियत और लोगों की सेवा करने का जज्बा ही इंसान को दुनिया में औरों से अलग बनाता है। पर जीते जी तो हर कोई सेवा कर लेता है लेकिन बड़ी बात मरने के बाद भी जनसेवा करना है। जी हां उत्तराखंड पुलिस के अफसर जिंदगी में तो जनसेवा कर ही रहे है। उन्होंने मरने के बाद भी जनसेवा करने की घोषणा कर दी है। त्यूणी के थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार ने मेडिकल के छात्र-छात्राओं की शिक्षा के लिए अपनी देहदान करने का फैसला किया है और एम्स को इसके लिए उन्होंने ऋषिकेश एम्स से देह दान संबंधी अनुबंध पत्र भी प्राप्त कर लिया है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार थाना प्रभारी कृष्ण कुमार ने स्वेच्छा से देह दान करने का संकल्प लिया है। बताया जा रहा है कि अब दुनिया से विदा होने के बाद उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। उन्होंने अपने जीते जी देहदान करने की इच्छा अपने परिजनों को बता दी है। इतना ही नहीं बाकायदा पूरी कार्यवाही कर दी गई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के एनाटॉमी विभाग में पंजीकरण करा दिया गया है। एम्स एनाटॉमी विभाग द्वारा देह दान संबंधी अनुबंध पत्र पर कृष्णकांत सिंह के दस्तखत के बाद उन्हें इसका प्रमाण पत्र भी दिया गया है।
गौरतलब है कि समाज सेवा के लिए नेत्र दान और अंग दान किए जाने के कई मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन पछुवादून, जौनसार बावर में मेडिकल के छात्र-छात्राओं की शिक्षा के लिए अपनी देहदान करने का पहला मामला सामने आया है। जब किसी थानाध्यक्ष ने दुनिया से विदा होने के बाद अपनी देहदान कर सामाज सेवा करने का फैसला लिया हो। उनके इस फैसले की हर कोई प्रशंसा कर रहा है।
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