उत्तराखंड
मिसाल: 52 साल से बजा रहे ढोल टिहरी के सोहन लाल बनेंगे डॉक्टर सोहन लाल, मिलेगी मानद उपाधि…
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है कि उत्तराखंड में एक ढोल बजाने वाले सोहन लाल ने। टिहरी निवासी सोहन लाल ने अपनी कड़ी लगन और मेहनत से पूरे विश्व के सामने मिसाल पेश की है। सोहन लाल अब डॉक्टर सोहन लाल बनने जा रहे है। उन्हें गढवाल विवि द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि मिलने जा रही है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार टिहरी पुजारगांव चंद्रवदनी के मूल निवासी 57 वर्षीय सोहनलाल ढोल वादन के साथ साथ गोरिल, नागराजा, दिशा धांकुड़ी, बगड़वाल जैसे सभी आयामों में पारंगत हैं। वह 5 साल की उम्र से ढोल वादन करते हैं और यह कला उन्होंने अपने पिता ग्रंथी दास से सीखी है। साथ ही सोहनलाल ने अपनी माता लौंगा देवी में चैत गीत, नागराजा गीत गाना भी सीखा है।
अब सोहनलाल को गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलने जा रही है। दीक्षांत समारोह में ढोल सागर विद्या के मनीषी सोहनलाल को यह सम्मान प्राप्त होगा। बताया जा रहा है कि अमेरिका की यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी सोहनलाल से ढोल सागर विद्या की ट्रेनिंग लेकर विदेशों में ढोल विद्या का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
बता दें कि किसी शख्स को उसके उत्कृष्ट काम या समाज में बेहतरीन योगदान देने के लिए ऑनरेरी डिग्री (मानद उपाधि) दी जाती है। यह एक तरह से अकादमिक सम्मान है। मानद उपाधि देने की शुरुआत पंद्रहवीं शताब्दी में ऑक्सफोर्ड यूनवर्सिटी से हुई। मानद डिग्री दो तरह की होती है। एक वह, जो उन लोगों को दी जाती है, जिनके पास पहले से डिग्री या कोई बड़ा सम्मान मौजूद हो।
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