उत्तराखंड
मौन पालन योजना में पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को अधिक प्रशिक्षण दिया जाए: दीपक रावत
कैम्प कार्यालय हल्द्वानी में मण्डलायुक्त दीपक रावत की अध्यक्षता में कुमाऊं मण्डल की उद्यान एवं कृषि विभाग की समीक्षा बैठक की गई। पंडित दीनदयाल उपाध्याय सरकारी गार्डन चौबटिया में वर्ष 2021-22 में सेब के पौधे में इंटर स्टाक की ग्राफटिंग की गई जिसका परिणाम वर्ष 2023-24 फल आने लगे हैं। जिसका बाजार भाव 500 रूपये प्रति किलो है।
ग्राफ्ट का वह भाग जो ग्राफ्टेड पौधे की जड़ प्रणाली का निर्माण करता है। इंटरस्टॉक (इंटरस्टेम भी) पौधे का एक टुकड़ा (आमतौर पर ट्रंक या उसके एक हिस्से को बनाने के लिए) स्कोन और अंडरस्टॉक के बीच ग्राफ्ट किया जाता है। इसके साथ ही चैरी, पुलम, नाशपाती व खुबानी में भी इंटर स्टाक ग्राफ्टिंग कर 741373 शीतकालीन पौधों का वितरण भी किया गया है।
कुमाऊ मण्डल में मौन पालन योजना के तहत काश्तकारों को 80 प्रतिशत राजसहायता योजना के द्वारा बाक्स दिये जाते हैं। वर्तमान में कुमाऊ मण्डल में 2821 काश्तकार भारतीय प्रजाति एपिस सेरेना इडिका व मैलिफिटा मौन पालन कर रहे है। जिससे द्वारा लगभग 953 कुंतल शहद उत्पादित होता है।
उन्होंने बताया कि जनपद अल्मोडा के 604 किसान के द्वारा 103.70 कुंतल, बागेश्वर के 156 किसानों द्वारा 41.06 कुंतल, पिथौरागढ 856 के किसानों द्वारा 299.86, चम्पावत 425 के किसानों द्वारा 119.74 जनपद नैनीताल के 780 किसानों के द्वारा 389.60 कुंतल शहद उत्पादन हो रहा है।
आयुक्त ने कहा कि मौन पालन योजना पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षण देकर लाभान्वित कर सकते है। इसके लिए योजना का प्रचार-प्रसार कर अधिक से अधिक लोगों को जोडा जाए।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 4 लाख 31 हजार किसानों को लाभान्वित किया जाता है। जिसके तहत वर्ष में 6 हजार रूपये की धनराशि डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों के खातों में अन्तरित की जाती है।
काश्तकारों को जैविक बीज, बायो फर्टिलाइजर तकनीकी सहयोग दिया जा रहा है। मण्डल में कुल 27595 हैक्टयर क्षेत्रफल में जैविक प्रमाणित खेती की जाती है। कुल 1500 कलस्टर इस कार्य में जुडे हैं जिसमें 800 कृषि एवं 700 उद्यान के कलस्टर है।
प्रधानमंत्री श्री अन्न योजना (मिलेट) की योजना के प्रोत्साहन, संवर्द्धन हेतु उत्पादों को एमएसपी की दर पर सहकारी समितियों द्वारा क्रय करने की व्यवस्था की गई है। कुमाऊ में मडुवा, झंगोरा, चौलाई मिलेट में शामिल हैं। इनको आंगनबाडी केन्द्रों, मिड डे मील, व सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इनकी आपूर्ति की जाती है, जिसका प्रत्यक्ष लाभ काश्तकारों को मिल रहा है।
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