उत्तराखंड
BREAKING: धामी सरकार ने इस भर्ती नियामावली में किया संशोधन, जारी किया ये बड़ा आदेश…
उत्तराखंड में धामी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि शासन ने मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 में संशोधन किया है। जिसकी अधिसूचना जारी की गई है। इस संशोधन के लागू होने से सरकारी सेवा काल में मृत सेवकों की आश्रितों की भर्ती को लेकर बड़ा फायदा होगा शासन ने आज इसके आदेश जारी कर दिए हैं। आइए जानते है क्या हुआ है बदलाव..
मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड उत्तर प्रदेश सेवा काल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली में सरकार ने बड़ा संशोधन किया है। जारी अधिसूचना में लिखा है कि राज्यपाल, “भारत का संविधान” के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करके उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश, 2002) में अग्रेत्तर संशोधन करने की दृष्टि से निम्नलिखित नियमावली बनाते हैं।
यदि इस नियमावली के प्रारम्भ होने के पश्चात् किसी सरकारी सेवक की सेवा काल में मृत्यु हो जाय और मृत सरकारी सेवक का पति या पत्नी (जैसी भी स्थिति हो) केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के. स्वामित्वाधीन या उसके द्वारा नियंत्रित किसी निगम के अधीन पहले से सेवायोजित न हो तो उसके कुटुम्ब के ऐसे एक सदस्य को जो, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या उसके द्वारा नियंत्रित किसी निगम के अधीन पहले से सेवायोजित न हो, इस प्रयोजन के लिए आवेदन करने पर भर्ती के सामान्य नियमों को शिथिल करते हुए, सरकारी सेवा में समूह ‘घ’ अथवा समूह ‘ग’ के कनिष्ठ सहायक या समकक्ष पद पर, उपयुक्त सेवायोजन प्रदान किया जाएगा यदि ऐसा व्यक्ति :-
(एक) पद के लिए विहित शैक्षिक अर्हताएं पूरी करता हो,
(दो) सरकारी सेवा के लिए अन्यथा अर्ह हो, और
(तीन) सरकारी सेवक की मृत्यु के दिनांक से पांच वर्ष के भीतर सेवायोजन के लिए आवेदन करता है :
परन्तु जहां राज्य सरकार का यह समाधान हो जाय कि सेवायोजन के लिए आवेदन करने के लिए नियत समय सीमा से किसी विशिष्ट मामले में अनुचित कठिनाई होती है, वहां वह अपेक्षाओं को, जिन्हें वह मामले में न्यायसंगत और साम्यपूर्ण रीति से कार्यवाही करने के लिए आवश्यक समझे, अभिमुक्त या शिथिल कर सकती है। ऐसा सेवायोजन, यथासम्भव, उसी विभाग में दिया जाना चाहिए जिसमें मृत सरकारी सेवक अपनी मृत्यु के पूर्व सेवायोजित था ।

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