उत्तराखंड
खबर का असर: मंत्री गणेश जोशी के विभाग में भारी अनियमितता पर धामी सरकार की कार्यवाही, अधिकारी निलंबित…
देहरादून: कृषि विभाग में हुई बड़ी अनियमितता मामले में “उत्तराखंड टुडे” की खबर का बड़ा असर हुआ है। खबर का संज्ञान लेकर धामी सरकार ने मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए एक अधिकारी को निलंबत कर दिया है, वहीं प्रकरण में संलिप्त अन्य अधिकारियों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। आपको बता दें कि, मंत्री गणेश जोशी के विभाग में हुए इस प्रकरण को उत्तराखंड टुडे ने प्रमुखता से उठाया था।
मामले में सचिव कृषि विनोद कुमार सुमन ने जनपद देहरादून के रायपुर के कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी राजदेव पंवार को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में बरती गई अनियमितता पर निलंबन के आदेश जारी किए।
इसके अतिरिक्त महानिदेशक कृषि को निर्देशित किया गया है कि, तत्काल प्रकरण में संलिप्त न्याय पंचायत प्रभारी वीरेंद्र सिंह नेगी और सेवानिवृत विकासखंड प्रभारी विनोद धस्माना का स्पष्टीकरण प्राप्त कर नियम अनुसार विभागीय करवाई की जाए।
सचिव की ओर से जारी आदेश में मुख्य कृषि अधिकारी लतिका सिंह को योजना का सत्यापन/ निरीक्षण न करने और अपने दायित्वों में लापरवाही करने के कारण 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है।
ये था मामला…
देहरादून: मंत्री गणेश जोशी के विभाग में एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। यह पहली बार नही जो कि मंत्री के विभाग पर सवाल खड़े हुए हों। इससे पहले भी मंत्री के उद्यान विभाग पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर मामले सामने आए है। उद्यान विभाग में लाखों का घोटाला किया गया। यहां पौधरोपण में गड़बडियां की गई हैं। विभाग की ओर से एक ही दिन में वर्कऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पेड़ लाना दिखाया गया है। इसका भुगतान भी कर दिया गया। मामले में जहां पर विभागिय मंत्री अपनों को बचाते नजर आए तो वहीं जब सवाल उठे तो सीएम धामी को खुद कमान संभालनी पड़ी। सीएम ने एक्शन लेते हुए लगातार बचते चले आ रहे उद्यान विभाग के निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा को सस्पेंड करने के आदेश दिए। इतना ही नहीं पुरोला से बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल ने उद्यान विभाग के कामकाज पर सवाल उठाए। उन्होंने उद्यान विभाग की नर्सरी की दयनीय व उजाड़ हालत से पर्दा उठाते हुए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। पार्टी के नेता ने ही विभागिय मंत्री व निदेशक को जिम्मेदार ठहराया। पर जहां उनकी पार्टी और सीएम भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते है तो वहीं शायद विभागिय मंत्री भ्रष्टाचियों को संरक्षण देते है तभी एक बार फिर विभाग में बड़े घोटाले का खुलासा है। अब सवाल ये उठता है कि इस मामले में मंत्री जोशी खुद एक्शन लेगें या हमेशा की तरह सीएम को एक्शन लेना पड़ेगा। पर हो जो भी मामले में मंत्री और सरकार की किरकिरी हो रही है।
कृषि विभाग का अजब-गजब कारनामा सामने आया है। क्या बाबू क्या साहब क्या आका किसानों पर डाका सब पर करप्शन के छींटे गिरते नजर आ रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं कृषि मंत्री गणेश जोशी के विभाग की, जिसपर कई गम्भीर आरोप लगे हैं। जिम्मेदार अधिकारी पर किसानों का पैसे डकारने का अरोप लगा है। आरोप तो यहां तक भी है कि कई मृत किसानों का पैसे भी मिल बांट कर खा लिया गया है।
बड़ा खुलासा उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने किया है। दसौनी ने कहा की उत्तराखंड में अब तक के सबसे अजीबो-गरीब घोटाले की बानगी हैं की राजधानी देहरादून में विभागीय मंत्री के नाक के नीचे उनकी विधानसभा में इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है ।प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राज्य में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में हुए घोटालों का पर्दाफाश कर निम्न बिन्दुओं की ओर पत्रकारों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा किः-
राज्य में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में आपसी मिली भगत से 1.5 करोड़ खा गए अधिकारी और निजी कंपनी।
दसौनी नी ने आरोप लगाया कि विभागीय मंत्री की विधानसभा में इस बड़े कारनामों को अंजाम दिया गया है और यह बिना मंत्री के संरक्षण या सांठ गांठ के संभव नहीं है।
दसौनी ने बताया की सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार 200 किसानों के अधिकारों पर डाला गया डाका, फर्जी साइन कर निकाल लिए पैसे। दसौनी ने बताया कि 2022-23 के वित्तीय वर्ष 31 मार्च को खत्म होने से पहले 28 मार्च 2023 को एक ही मोहर और एक ही दिन 200 खातों में डेढ़ करोड़ रुपया ट्रांसफर कर दिया गया। दसौनी के अनुसार मृत किसानो के भी कर दिए गए साइन, और तो और अनपढ़ महिला है लेकिन सत्यापन पर अंग्रेजी में साइन?? एक ही दिन में 200 किसानों का सत्यापन, एक ही वकील की मुहर, सत्यापन का एक भी फोटो मौजूद नही जबकि नियमानुसार फील्ड में जाकर करना होता हैं सत्यापन। किसानों के घर पानी नहीं हैं लेकिन लाखो के पाइप और फुव्वारे फेंक गए अधिकारी। कृषि विभाग के विधानसभा, ब्लॉक और न्यायपंचयात स्तर के अधिकारियों और निजी कंपनी की मिलीभगत का मामला। मामले में 4 से 6 अलग अलग कंपनियों की संलिप्तता, सभी कंपनियां एक ही व्यक्ति या रिश्तेदारों की होने की संभावना। मामला पूरी तरह से विभागीय मंत्री की विधानसभा से जुड़ा हैं उसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नही, क्या मंत्री की शह पर सब हुआ है?
दसोनी ने प्रदेश के मुखिया का आह्वान करते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री धामी स्वयं को भ्रष्टाचार पर चोट करने वाला और जीरो टॉलरेंस का मुख्यमंत्री कहते हैं तो उन्हें चुनौती है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की सच्चाई प्रदेश की जनता के सामने रखें, उसमें किस तरह से पैसे की बंदर बाट हो रही है और किसानों के अधिकार और हक का पैसा मारा जा रहा है इसको जनता के सामने रखें। दसौनी ने यह भी कहा कि जो भी मंत्री विधायक या अधिकारी गरीब किसानों के हक् का पैसा या निवाला खा रहे हैं उनका जमीर किस हद तक मर चुका होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है दसौनी ने कहा की क्योंकि योजना का नाम प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना है इसलिए डबल इंजन के मंत्री और विधायक किस तरह से प्रधानमंत्री के नाम पर बट्टा लगा रहे हैं यह प्रधानमंत्री कार्यालय को संज्ञान लेना चाहिए।
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