उत्तराखंड
हौसला: कंचे खेलने वाले बच्चों को मिल रहा निःशुल्क आखर ज्ञान, पिपलेथ की भावना संवार रही ग्रामीण बच्चों का भविष्य
टिहरी। वाचस्पति रयाल
वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने को इम्पोज किये गए लॉकडाउन के चलते जहां शिक्षण संस्थाओं को क्वारन्टीन सेंटर बना दिया गया है,वहीं छोटी से लेकर बड़ी कक्षाओं का शिक्षण ऑनलाइन चलाया जा रहा है।
मगर आंगनबाड़ी केंद्र में आखर ज्ञान सीखने को धूल से लथ-पथ नन्हे-मुन्ने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देना टेढ़ी खीर है। अभिभावकों के लिए भी घरों में इन छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाना तो रहा दूर उन्हें कंट्रोल करना भी बडा़ मुश्किल हो जाता है।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दिन भर कंचे खेलने में वक्त बिता रहे इन नन्हे बच्चों का दिलजीत कर खेल-खेल में शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़ा रहे हैं।
ठीक इसी तरह खेल-खेल में बच्चों को शिक्षा देने में पारंगत लोगों में शुमार ग्राम पिपलेथ की भावना भंडारी नन्हें बच्चों की शिक्षा के प्रति समर्पित हैं।
उन्होंने गांव-गलियों, खेत- खलियानों और पंचायत भवनों में कंचे और गुल्ली डंडा खेलने में व्यस्त और मस्त इन नन्हे बच्चों में ऐसी भावना जागृत की, कि गांव के सब नन्हे-मुन्ने बच्चे, भावना भंडारी के ऐसे फैन हो गए वे सब अब कंचा खेलने के बजाय गांव के पंचायत भवन हॉल में पढ़ने में व्यस्त हो गए हैं।
वर्षों से ही बेरोजगार भावना भंडारी एम ए B.Ed हैं, वह सामाजिक दूरी का पालन करते हुए गांव के पंचायत भवन में पिछले एक माह से नन्हें बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिए हुए हैं।
ग्राम पंचायत की प्रधान शोभा भंडारी सहित ग्राम वासी भावना भंडारी के इस नेक कार्य की जमकर प्रशंसा कर रहे हैं।
भावना भंडारी ने दिखा दिया कि “मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती,
मेहनत के बगैर जीवन की नैया कभी पार नहीं होती”
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