उत्तराखंड
कारनामा: ऋषिकेश में हुआ ये कारनामा, जंहा सरकारी मशीनरी ने इंसानियत खो दी, जानिए क्या है मामला
देहरादून। तीर्थ पुरोहितों की नगरी ऋषिनगरी में भी इंसानियत शर्मसार हो रही है। सिर्फ चंद सरकारी मशीनरी के नुमाइंदों की वजह से। आलम यह है कि इंसानियत ताक पर रख कर सरकारी तनख्वाह डकारने के आदि
स्वास्थ्य महकमे के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की वजह से उत्तराखंड पर हर बार काले धब्बे लगते रहे हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर
दरअसल देश दुनिया मे कोरोना के इस संकट काल मे जब डॉक्टरों की भूमिका अहम है। ऐसे में सरकारी मेडिकल सिस्टम से जुड़े कुछ लोगों की इंसानियत शर्मसार करने वाली हरकत सामने आई है। मामला मुनिकीरेती क्षेत्र से जुड़ा है।
बीते रोज मुनिकीरेती हनुमान मंदिर के समीप बदहवास हालत में 45 वर्षीय युवक पुलिस को पड़ा मिला, पुलिस ने तो अपना धर्म निभाते हुए उस व्यक्ति को एम्बुलेंस से ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में भिजवा दिया।
पुलिस की माने तो वह एम्बुलेंस में व्यक्ति को दौड़ाती रही ना ही उसे सरकारी अस्पताल में दाखिला मिला और न ही उसे विश्वस्तरीय कहे जाने वाले संस्थान एम्स में। लिहाजा व्यक्ति को नरेंद्रनगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
गजब यह है कि नरेंद्रनगर अस्पताल में भी व्यक्ति बदहवास अवस्था मे डॉक्टरों की गैर मौजूदगी में अस्पताल में पड़ा रहा। थाना प्रभारी मुनिकीरेती आरके सकलानी की माने तो अस्पताल के डॉक्टर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के उदघाटन में गये हुए थे, जिस कारण उसे उपचार नही मिल पाया।
आखिरकार बीमार व्यक्ति की अस्पताल में ही मौत हो गई। सामने आई यह सरकारी सिस्टम की स्याह हकीकत को जगजाहिर कर रही है।
इस मामले को लेकर जिलाधिकारी टिहरी ने जांच बिठा दी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद करवाई का दावा भी किया जा रहा है। वंही इस बाबत एम्स पीआरओ हरीश मोहन थपलियाल का कहना है कि इस तरह की गलती सामने आई है उसकी एम्स प्रशासन भी जांच करा रहा है। जांच में किसी की लापरवाही सामने आती है तो एक्शन लिया जाएगा।
क्या कहते है डीएम
यह प्रकरण सामने आया है जिसकी शासन के साथ टिहरी प्रशासन भी जांच कर रहा है। दोषी के खिलाफ करवाई की जाएगी। इस बाबत देहरादून प्रशासन से भी बातचीत चल रही है।
मंगेश घिल्डियाल, डीएम टिहरी
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