रुद्रप्रयाग
प्रवासियों ने आत्मनिर्भर बन गांव में ही लिख डाली कामयाबी की इबारत,लघु उद्योग स्थापित आजीविका की शुरू
रुद्रप्रयाग। वैश्विक महामारी कोरोना के बाद गांव को लौटे कई प्रवासी जहां अभी भी स्वरोजगार के लिए सरकारी सहायता के भरोसे बैठे हैं।
वही जखोली विकासखण्ड़ के दो प्रवासी युवा अपने दम पर एक नया व्यवसाय स्थापित कर चुके हैं। जो कि अन्य प्रवासीयों के लिए भी नजीर साबित हो रहा है।
आपको बता दें कि जखोली विकासखण्ड के बुढना गांव के दो युवाओं रुपेश सिंह गहरवार व प्रवीन्द्र राणा ने स्वरोजगार के लिए अलग ही आईडिया के साथ नई राह चुनी,
ये दोनों युवा इससे पूर्व बाहरी राज्यों में नौकरी करते थे व लाकडाउन के चलते गांव में बेरोजगार बैठे थे। रुपेश सिंह गहरवार व प्रवीन्द्र राणा ने अपने गांव के नजदीक फतेड़ू बाजार में चप्पल बनाने वाली मशीनें लगाकर एक छोटा लघु उद्योग स्थापित कर दिया।
गढ़वाल के पहाड़ी जिलों में खुला ये पहला छोटा सा चप्पल बनाने का कारखाना है ऐसे में पूरा बाजार बिना किसी प्रतिस्पर्दा के इस नए व्यवसाय के लिए खुला है।
शुरूआती दिनों में लोगों को उनके चप्पल बनाने का व्यवसाय कुछ अटपटा सा लगा, लोगों ने दोनों प्रवासियों की मजाक भी बनाई, लेकिन अब हर कोई उनके आईडिया को दाद दे रहा है,
बाहर से आने वाले बड़ी कम्पनीयों के चप्पलों से उनका रेट 30 से 35 रूपये कम है, ऐसे में जहां उनकी दुकान में लोग स्पेशल चप्पल खरीदने दूर-दूर से पहुच रहे हैं, वही आसपास के बाजारों से भी डिमान्ड आनी शुरू हो गयी है
इसे ही कहते हैं कामयाबी की इबारत लिखना। एक और स्वरोजगार के लिए लोन का इंतजार करना और दूसरी ओर अपने दमखम पर कारोबार स्थापित वाकई काबिले तारीफ है। ऐसे युवाओं उत्तराखण्ड टुडे भी सैल्यूट करता है।
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