उत्तराखंड
फर्जी: फर्जी शिक्षकों पर हाईकोर्ट का डंडा, जांच को लेकर शिक्षा विभाग की बढ़ी मुश्किलें
देहरादून: हाईकोर्ट के आदेश अनुसार अनुसार फर्जी शिक्षकों की मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। फर्जी शिक्षकों की डिग्री की जांच को लेकर शिक्षा विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी है।
फर्जी कागजातों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का बचना अब और भी मुश्किल हो गया है।
आपको बता दें कि शिक्षा विभाग में 35 हजार से ज्यादा बेसिक और जूनियर शिक्षकों के 10वीं से बीएड तक के सर्टिफिकेट की जांच कराने जा रहा है।
हालांकि यह जांच शिक्षा विभाग पर आर्थिक रूप से भारी भी पड़ रही है। एक शिक्षक की केवल स्नातक की डिग्री जांचने के लिए पांच सौ रुपये का खर्च आ रहा है।
दसवीं से बीटीसी-डीएलएड के प्रमाणपत्रों की जांच का खर्चा अलग है।
हाईकोर्ट के आदेश पर यह पड़ताल कराई जा रही है। हालांकि पहले शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को जमाकर हाईकोर्ट के सामने रखने की योजना थी।
पर, हाईकोर्ट के सख्त रुख को देख शिक्षा विभाग सभी दस्तावेजों की जांच कराने जा रहा है। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने सभी डीईओ को इसके आदेश कर दिए।
इसके तहत राज्य बोर्ड से हाईस्कूल, इंटर, राज्य के डायट से बीटीसी-डीएलएड और राज्य के विवि से स्नातक, बीएड करने वाले शिक्षकों की जांच होगी। शिक्षकों से प्रमाणपत्र लेने के बाद डीईओ को इन प्रमाणपत्रों को बोर्ड, डायट, विवि से प्रमाणित कराना होगा।
सरकारी खर्च पर दस्तावेजों की जांच
पूर्व में कुछ अधिकारियों ने गढ़वाल विवि को शिक्षकों की डिग्रियां भेजी थी। विवि ने कहा कि एक छात्र के दस्तावेजों की जांच को 500 रुपये शुल्क देना होगा।
शिक्षाधिकारियों ने इस पर निदेशालय से दिशानिर्देश मांगे। एडी वीएस रावत ने बताया, अधिकारी इसे मानद मद-27 और 42 से या विशेष सेवाओं के लिए भुगतान से भी खर्च कर सकते हैं।
मंत्री अरविंद पांडे ने भी साफ-साफ कह दिया है कि माननीय हाईकोर्ट ने शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए है।
किसी भी स्तर पर जांच में कोई चूक न रहे और एक-एक प्रमाण पत्र को बारीकी से जांच की जाए।
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