देहरादून
फैसला: पुलिस महकमे में ऐसे होंगे ट्रांसफर, कहाँ कैसे मिलेगी तैनाती। पढ़ें पूरी खबर…
देहरादून: उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक आशोक कुमार लगातार एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं। बीते दिन पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में उन्होंने अराजपत्रित पुलिस अधिकारियों की स्थानान्तरण नीति की समीक्षा की। इस समीक्षा बैठक में उन्होंने कई बड़े निर्णय भी लिए। इन फैसलों में पुलिस के जवानों की तैनाती से लेकर उनके ट्रांसफर तक के निर्णय लिए गए।
समीक्षा बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय:-
(1)-निरीक्षक एवं उप निरीक्षक स्तर के अधिकारियों की एक बार में चार मैदानी जनपदों (देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर एवं नैनीताल) में कुल नियुक्ति अवधि 8 वर्ष से अधिक नहीं होगी तथा पर्वतीय जनपद (टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत एवं पिथौरागढ़) में नियुक्ति अवधि 4 वर्ष से अधिक नहीं होगी। मुख्य आरक्षी एवं आरक्षी की मैदानी जनपदों में नियुक्ति अवधि क्रमशः 12 वर्ष एवं 16 वर्ष से अनधिक तथा पर्वतीय जनपद में नियुक्ति अवधि क्रमशः 6 वर्ष एवं 8 वर्ष से अनधिक होगी।
(2)-वार्षिक स्थानान्तरण माह मार्च में किये जायेंगे तथा स्थानान्तरण 31 मार्च तक अनिवार्यतः पूर्ण कर लिये जायेंगे।
(3)-नवनियुक्ति/पदोन्नति एवं निर्धारित समय अवधि पूर्ण करने वाले कार्मिकों से नियुक्ति/स्थानान्तरण हेतु तीन विकल्प मांगे जायेंगे जिनमें से 1 विकल्प पर्वतीय जनपद का होना अनिवार्य होगा। यथासम्भव इन तीन विकल्पों के अन्तर्गत ही नियुक्ति/स्थानान्तरण किया जायेगा।
(4)-गैर जनपदीय शाखाओं (पुलिस मुख्यालय को छोड़कर) में पुलिस बल के कार्मिकों की नियुक्ति अवधि अधिकतम 3 वर्ष रहेगी। यदि सम्बन्धित कार्मिक की नियुक्ति अवधि बढ़ायी जानी आवश्यक हो तो, सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष द्वारा सम्बन्धित कार्मिक की कार्यकुशलता के आधार पर उसकी नियुक्ति अवधि 2 वर्ष बढाये जाने हेतु पूर्ण औचित्य सहित प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा तथा पुलिस मुख्यालय स्तर से परीक्षणोपरान्त ऐसे कार्मिकों की नियुक्ति अवधि अधिकतम 2 वर्ष के लिये बढायी जा सकेगी तथा नियुक्ति अवधि बढ़ाये जाने विषयक आदेश में नियुक्ति अवधि बढ़ाये जाने के औचित्य का भी स्पष्ट उल्लेख किया जायेगा।
(5)-एक थाने एवं उसके अन्तर्गत आने वाली चैकियों में निरीक्षक/उपनिरीक्षक/मुख्य आरक्षी/आरक्षी की अधिकतम नियुक्ति अवधि 3 वर्ष रहेगी।
(6)-सीपीयू और एटीएस एन्टी ड्रग्स टास्क फोर्स में सम्बद्वता अवधि 3 वर्ष की रहेगी। इन इकाईयों में सम्बद्व किसी कार्मिक की सम्बद्वता अवधि पूर्ण होने के उपरान्त यदि सम्बन्धित कार्मिक की सम्बद्वता अवधि बढ़ायी जानी आवश्यक हो तो, सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष द्वारा सम्बन्धित कार्मिक की कार्यकुशलता के आधार पर उसकी सम्बद्वता अवधि 2 वर्ष बढाये जाने हेतु पूर्ण औचित्य सहित प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा तथा पुलिस मुख्यालय स्तर से परीक्षणोपरान्त ऐसे कार्मिकों की सम्बद्वता अवधि अधिकतम 2 वर्ष के लिये बढायी जा सकेगी तथा सम्बद्वता अवधि बढ़ाये जाने विषयक आदेश में सम्बद्वता अवधि बढ़ाये जाने के औचित्य का भी स्पष्ट उल्लेख किया जायेगा।
(7)-यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी को सेवा निवृत्त होने के लिए मात्र दो वर्ष ही रह गये हों तो, यथासम्भव उन्हें उनकी इच्छानुसार तीन जनपदों/शाखाओं में से एक में तैनात किया जायेगा। इसमें सम्बन्धित कर्मी का गृह जनपद (गृह तहसील/गृह थाना छोडकर) भी सम्मिलित रहेगा।
(8)-यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी की 4 मैदानी जनपदों में नियुक्ति अवधि पूर्ण हो चुकी हो तो सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी को पुनः 4 मैदानी जनपदों में नियुक्ति पाने से पूर्व 9 पर्वतीय जनपदों में निर्धारित नियुक्ति अवधि पूर्ण किया जाना अनिवार्य होगा।
(9)-पुलिस विभाग में नियुक्त सभी संवर्गो के मुख्य आरक्षी/आरक्षी जिनका गृह जनपद पिथौरागढ, बागेश्वर, चम्पावत, चमोली एवं रूद्रप्रयाग है, को रिक्तियों के सापेक्ष यथासम्भव उनकी इच्छानुसार उनके उक्त गृह जनपदों में नियुक्ति/स्थानान्तरण किया जा सकेगा। गृह जनपद में नियुक्त कार्मिकों को उनकी गृह तहसील/गृह थाने में नियुक्त नही किया जायेगा।
(10)-45 वर्ष से अधिक आयु पूर्ण करने वाले मुख्य आरक्षी/आरक्षी, जिनका गृह जनपद उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल एवं अल्मोड़ा है, को रिक्तियों के सापेक्ष यथासम्भव उनकी इच्छानुसार उनके गृह जनपद में (गृह तहसील/गृह थाना छोडकर) नियुक्त किया जा सकेगा।
(11)-यदि पति-पत्नी सरकारी सेवा में हों, तो उन्हें यथासम्भव एक ही जनपद/नगर/स्थान पर तैनात किया जाय।
(12)-यदि कोई पुलिस कर्मी आदेशों के विरूद्व एवं स्थानान्तरण के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का बाहरी दबाव डलवाने का प्रयास करे, तो उसके इस कृत्य/आचरण का सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन मानते हुए उसके विरूद्व ‘‘उत्तराखण्ड सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली-2003’’ के संगत प्राविधानों के अनुसार अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए निलम्बन के सम्बन्ध में भी विचार किया जायेगा।
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