उत्तराखंड
आंदोलन: कृषि कानून के खिलाफ किसानों का राजभवन कूच, डोईवाला में पुलिस से नोकझोंक….
देहरादून: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ़ आज शनिवार को राज्यभर के किसान देहरादून स्थित राजभवन कूच कर रहे हैं। जिसमें डोईवाला, विकासगनर और रुड़की के किसान शामिल हैं। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के कार्यकर्ता आज राजभवन कूच कर रहे हैं।
आज राजभवन कूच करने के बाद 24 जनवरी को बड़ी संख्या में किसान दिल्ली में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली में प्रतिभाग करने के लिए भी रवाना होंगे। शुक्रवार को विकासनगर में आयोजित प्रेसवार्ता में किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांग को अनुसना कर रही है। जिसके विरोध में प्रदेश के किसान राजभवन कूच करI सरकार को जगाने का प्रयास करेंगे। वर्तमान में सहसपुर, विकासनगर और चकराता विधानसभा क्षेत्र के 373 किसान मंच के बैनर तले दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन का हिस्सा बने हुए हैं।
किसानों ने कहा कि 60 दिनों में 132 किसान शहीद हो गए हैं लेकिन केंद्र सरकार चीर निंद्रा से नहीं से नहीं जाग रही है। किसानों ने कहा कि जब तक किसान बिल को समाप्त नहीं किया जाता किसान आंदोलन से टस से मस नहीं होने वाले। कृषि बिल के वापस होने पर ही किसान आंदोलन समाप्त करेगा।
रुड़की क्षेत्र के किसान संगठनों ने आज राजभवन कूच करने का कार्यक्रम रद्द करने की प्रशासन की अपील ठुकरा दी थी। बैठक में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने किसानों से मंगलौर या रुड़की में ही ज्ञापन देने की अपील की थी लेकिन किसानों ने आज शांतिपूर्वक देहरादून कूच करने का फैसला लिया। अधिकारियों ने किसानों के साथ बैठक की थी और किसानों से 23 जनवरी को प्रस्तावित राजभवन घेराव कार्यक्रम रद्द करने का अनुरोध किया था।
किसान संगठनों ने चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, आज राजभवन के लिए रवाना हो गए। किसान संगठनों का कहना है कि किसान कृषि कानून वापस करने समेत अपनी अन्य मांगों को लेकर आज देहरादून पहुंचकर राजभवन का घेराव करेंगे।
आज किसान आंदोलन के चलते देहरादून-हरिद्वार मार्ग पर आम जनता को काफी मुश्किलें हुई। लच्छीवाला टोल बैरियर के दोनों छोर पर करीब 2-3 किलोमीटर का जाम लग गया। डोईवाला के किसान राजभवन कूच के लिए सड़कों पर उतरे हैं। जिसके कारण आम लोगों को भारी ट्रैफिक का सामना करना पड़ा।
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