देहरादून
आलोचना: अनिशा रांगड़ के नए गीत “बामणी का पंडा जी” गीत में बिगड़े बोल, थाने में मामला दर्ज…
देहरादून: देवभूमि की लोककलाओं का विश्व पटल पर एक अलग स्थान है। जिसे उत्तराखंड के महान कलाकारों जैसे गढरत्न श्री नरेन्द्र सिंह नेगी, जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, स्व. जीत सिंह नेगी, स्व. चंद्र सिंह राहीजी, मीना राणा, बसंती बिष्ठ, स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी, कल्पना चौहान, अनुराधा निराला, किशन महिपाल एवं महान लोक कलाकारों ने इस स्थान पर पहुंचाने का प्रयास किया है। उसी के ठीक विपरित उसको कलंकित करने का जो कार्य उत्तराखण्ड के नए कलाकार कर रहे हैं। जो देवभूमि उत्तराखंड को शर्मसार कर रहे हैं ।
स्वर एवं कंठ विहिन कलाकार अपनी अल्प ज्ञान के कारण उत्तराखंड की संस्कृति, रीतिरिवाज, परंपराओं को दरकिनार कर फूहड़ता का परिचय दे रहे हैं। उत्तराखंड में कई लोक कलाकार हुए हैं जिन्होंने आपने गीतों में उत्तराखंड की संस्कृति, रहनसहन, रिवाजों और परंपराओं के साथ देवभूमि का बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णन किया है। इन कलाकारों ने राज्य और राज्य की जनता का हमेशा ही सम्मान किया।
इसके विपरीत आज की नई पीढ़ी जिसमें कुछ गायक व गायिका अपने द्वारा गए गीतों में जाति विशेष पर गीत गा रहे हैं। आजकल एक गढ़वाली गीत पर उत्तराखंड का ब्राह्मण समाज खासा नाराज दिख रहा है। अनिशा रांगड़ व कमल धनाई द्वारा गाये इस गीत के रिलीज होते ही ब्राह्मण समाज में खासी नाराजगी है। ब्राह्मण समाज ने “बामणी का पाड़ा जी” गढवाली गीत पर गहरी नाराजगी जताई है।
भारतबर्षीय ब्राह्मण सभा का कहना है कि ये गाना हमारी संस्कृति के खिलाफ फैलाया गया एक दुष्कर्म है। इस गीत में ब्राह्मण को पूजा के साथ दारू का पात्र दर्शाया गया है। ऐसे कलाकारों की निंदा होनी चाहिए और ऐसे गीतों को बैन करने की हम मांग भी करेंगे। हमारी संस्कृति सभी समाज को साथ लेकर चलती है इसलिए हम शासन प्रशासन से मांग करेंगे कि इस गाने के खिलाफ सख्ती से कानूनी कार्यवाही हो और उन सभी कलाकारों से पूछताछ की जाये जो ऐसी सामाजिक फूट डालने की कोशिश कर रहे है।
राष्ट्रीय अखिल ब्राह्मण सभा उत्तरकाशी ने भी अनिशा रांगड़ के खिलाफ थाना उत्तरकाशी में एक पत्र सौंपा। राष्ट्रीय अखिल ब्राह्मण सभा का कहना है कि हाल ही में इनके द्वारा एक गढ़वाली गीत रिलीज किया गया है। जिस गीत में ब्राह्मण समाज के लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। जिससे ब्राह्मण समाज दुखी है और क्रोधित है।
सोशल मीडिया पर हो रही गीत की आलोचना के बाद गायिका अनिशा रांगड़ ने सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तराखंड ब्राह्मण समाज से माफी भी मांगी। गायिका अनिशा रांगड़ ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा….
“मैं अनिशा रांगड़ आप सभी लोगों से दिल से माफ़ी मांगती हूँ कि मैंने ऐसा अभद्र गीत गाया जिससे समाज के सबसे ऊंचे वर्ग ब्राह्मण जाति का दिल दुःखा। मेरी ऐसी कोई गलत भावना नहीं थी। ब्राह्मण वर्ग के प्रति न ही इस गीत के शब्द मेरे द्वारा लिखे हुए हैं। मेरे घर में कुछ घटना घटने के कारण मैंने गीत के शब्दों में भी ध्यान नहीं दिया और जल्दी बाजी में गाकर निकाल गई। यही मेरी ग़लती है। अपनी ये गलती में मानती हूं। आप सभी ने मुझे हमेशा सराहा है, मेरे काम को हमेशा प्रोत्साहन दिया है। मैं अनिशा रांगड़ आगे से इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए ही अपनी प्रस्तुति दूंगी। मुझे अपनी बहन ,अपनी बेटी, समझते हुए माफ़ कीजियेगा। सभी ब्राह्मण वर्ग के लोगों से, दर्शकों से ,श्रोताओं से मेरा अनुरोध है कि मेरी इस त्रुटि को माफ़ कर दीजिये और मुझे अपना आशीर्वाद दीजिये।”
इसके बाद गायिका अनिशा रांगड़ ने एक पत्र भी लिखा। जिसमें अनिशा ने ब्राह्मण समाज से आपने द्वारा हुई भूलबस गलती के लिए माफी भी मांगी है। उन्होंने पत्र में लिखा….
सेवा में,
श्रीमान अध्यक्ष ब्राह्मण सभा ऋषिकेश
उत्तराखंड देहरादून
विषय:- मेरे द्वारा गाया गया अभद्र गीत ब्राह्मणों पर आधारित – के सम्बंध में माफी नामा।
महोदय
नम्र निवेन इस प्रकार है कि मैं अनीश रांगड समस्त ब्राह्मण जाति, से करवध विनती व हाथ जोडकर दिल से माफी मांगना चाहती हूं वास्तव में मुझे इस बात का आभास नहीं था। कि यह गीत ब्राह्मणों के ऊपर अभद्र टिप्पणी का विरोधाभास का पात्र बनेगा। महोदय सम्पूर्ण भू-मण्डल पर ब्राहाणों को देवता समान माना गया है। मेरा किसी भी ब्राह्मण जाति का अपमान करना व जनभावनाओं को इस गीत के माध्यम से ठेस पंहुचाना नहीं था । वास्तव में मैंने इस गीत में सिर्फ अपनी आवाज दी है। और मेरे द्वारा यह गीत बिल्कुल भी नहीं लिखा गया है। मैंने गायक कमल घनाई के साथ गाया है। जो इम गीत में अमर्यादित शब्द है और मेरे द्वारा जो गाए गए है । उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं। भविष्य में इस तरह की भूल नहीं होगी। आप सभी ने हमेशा मुझे सराह है और इतना प्यार प्रोत्साहन दिया है। मुझे अपनी छोटी बहन व बेटी समझते हुए माफ़ जरूर करना। एक बार पुनः मैं अनीशा रांगड समस्त ब्राह्मण वर्ग व स्रोताओं से अनिरोध करती हूं मेरी भूल को माफ किया जाए।
धन्यवाद
प्रार्थी अनीश रांगड
प्रतिलिपि : – समस्त ब्राह्मण सभा उत्तराखण्ड।
उत्तराखण्ड के महान कलाकारों ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति को पहचान देने के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया। उनके द्वारा अथक प्रयास किए गए, उनकी संजोई इस संस्कृति को समाप्त करने वाले ऐसे गायकों पर सख्त से सख्त करवाई की जाए। हम मानते हैं कि गायिका अनिशा रांगड़ से गलती बस ये भूल हुई हो पर उत्तराखंड में कई गायक गायिका ऐसे भी हैं जो कुछ भी शब्दों का प्रयोग कर गीत गाते हैं। जो उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा, रीतिरिवाज, रहन सहन को आघात पहुंचते हैं। ऐसे गायकों, गीत रिलीज करने वाली कंपनी सहित सभी पर कार्रवाई होनी चाहिए।
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