उत्तराखंड
चमोली त्रासदी: मृतकों की संख्या पहुंची 26, 25 बचाए गए 197 अब भी लापता। करोडों के नुकसान का अनुमान…
देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को अचानक आई विकराल बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में बचाव और राहत अभियान में तेजी आ गई। वहीं 19 शव और मिलने से इस आपदा में मरने वालों की संख्या 26 हो गई और 197 अन्य अभी लापता हैं। वही 25 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है। अलकनंदा नदी तट के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सर्च ऑपेरशन कर रही टीमों द्वारा 20 शवों और 05 मानव अंगों को क्षत-विक्षत स्थिति में बरामद किया गया है। इसके अतिरिक्त जनपद रुद्रप्रयाग में 05 और जनपद पौडी में 01 शव को सर्च ऑपरेशन कर रही टीमों ने बरामद किया है।
चमोली में मिले सभी शवों को शिनाख्त हेतु जिला चिकित्सालय गोपेश्वर मोर्चरी में एवं जिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग मोर्चरी में रखा गया है, तपोवन में बरामद 03 शवों की शिनाख्त हो चुकी है। शवों की शिनाख्त हेतु जनपद पुलिस द्वारा चमोली में बरामद 20 शवों और 05 मानव अंगों में से 07 शवों और 02 मानव अंगो का पंचायत नामा भरा गया है।
ऋषिगंगा घाटी के रैंणी क्षेत्र में ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में आई बाढ से क्षतिग्रस्त 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट की निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजनाओं में लापता लोगों की तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवानों के बचाव और राहत अभियान में जुट जाने से उसमें तेजी आ गई है। आपदा में चमोली के विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना और धौलीगंगा बिजली परियोजना को भी नुकसान पहुंचा है।
पीपलकोटी परियोजना अलकनंदा नदी पर है। इसके लिए डायवर्जन डैम बनाए जा रहे थे, जिसकी ऊंचाई 65-70 मीटर तक होती। इससे बिजली का उत्पादन दिसंबर, 2023 तक शुरू होने की उम्मीद थी। यह प्रोजेक्ट 400 मेगावाट का है। वहीं, 90 मीटर का झूला पुल समेत सात पुल बह गए। इस आपदा से चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है। तपोवन-विष्णुगाड परियोजना में 2978 करोड़, जबकि ऋषिगंगा परियोजना में 40 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा करीब 1000 करोड़ के अन्य नुकसान का अनुमान है। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद अब पूरा फोकस राहत-बचाव के काम पर है। सबसे बड़ी मुश्किल तपोवन की टनल में आ रही है, जहां करीब 37 लोगों के फंसे होने की आशंका है। सुरंग कीचड़ से भरी हुई है, ऐसे में अंदर जाने में काफी मुश्किलें हैं। लेकिन रेस्क्यू करने वाली टीम अभी भी मिशन में जुटी हैं।
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रभावित इलाके का हवाई सर्वे किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार पूरे रेस्क्यू मिशन पर नजर बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री चमोली आपदा में घायल हुए लोगों से मिलने अस्पताल पहुंचे साथ ही सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान जो रेस्क्यू के दौरान घायल हो गए उनसे भी सीएम त्रिवेंद्र ने अस्पताल जाकर मुलाकात की और उनका धन्यवाद किया। सीएम ने उस स्थान का भी निरीक्षण किया जहां से आपदा की शुरुआत हुई थी।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और बताया कि एनटीपीसी की निर्माणाधीन 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना को अनुमानित 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने एनटीपीसी परियोजना में मरने वालों के परिजनों को 20—20 लाख रुपये मुआवजा देने को भी कहा ताकि वह इस त्रासदी से उबर सकें।
आपदा प्रभावित क्षेत्र तपोवन क्षेत्र में बिजली परियोजना की छोटी सुरंग से 12 लोगों को रविवार को ही बाहर निकाल लिया गया था जबकि 250 मीटर लंबी दूसरी सुरंग में फंसे 35 लोगों को बाहर निकालने के लिए अभियान जारी है। बचाव और राहत अभियान में बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और स्निफर कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, सुरंग के घुमावदार होने के कारण उसमें से मलबा निकालने तथा अंदर तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। संपर्क से कट गए 13 गांवों में हैलीकॉटर की मदद से राशन, दवाइयां तथा अन्य राहत सामग्री पहुंचाई जा रही हैं।
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