देश
Success: आईएएस की तैयारी के दौरान दोस्त के साथ तैयार किया बिजनेस आइडिया, ‘चाय बाजार’ में जम गए अनुभव-आनंद…
आज हम एक ऐसे 26 साल के युवा की बात करने जा रहे हैं जो घर से बुलंद इरादों के साथ आईएएस बनने के लिए निकले थे। लेकिन सिविल सर्विस की तैयारी करने के दौरान एक मित्र के साथ मिलकर अपने आपको बिजनेस में ढाल लिया। हालांकि इनके माता-पिता चाहते थे कि बेटा सरकारी अफसर बने। बेटा अफसर तो नहीं बन सका लेकिन देश-विदेशों तक अपनी पहचान बना दी। इस स्टोरी को पूरा जानने के लिए हम आपको देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश लिए चलते हैं। इस राज्य में एक छोटा जिला कटनी है। यह शहर वैसे तो ‘सीमेंट उद्योग’ के लिए जाना जाता है। लेकिन इन दिनों एक युवा की वजह से कटनी सुर्खियों में है। हम बात कर रहे हैं अनुभव दुबे, जो इसी जनपद से आते हैं। माता-पिता ने अनुभव को उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए कुछ वर्षों पहले कटनी से इंदौर भेजा था। यहां पर उसकी दोस्ती आनंद नायक नाम के युवक से हुई। दोनों साथ में पढ़ाई करते थे पर कुछ दिनों बाद आनंद पढ़ाई छोड़कर अपने किसी रिश्तेदार के साथ बिजनेस करने लगा। इसके बाद अनुभव को उसके माता-पिता ने आईएएस की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया। वो चाहते थे कि उनका बेटा आईएएस अफसर बने। समय बीतता गया और दोनों अपनी-अपनी मंजिल को तलाशने में जुट गए। कुछ समय बाद अचानक आनंद नायक का अनुभव के पास दिल्ली में फोन आया और दोनों में काफी देर तक बातचीत हुई। इसी दौरान आनंद ने उदास मन से बताया कि उसका बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा है, हम दोनों को मिलकर कुछ नया काम करना चाहिए। अनुभव के मन में भी कहीं न कहीं बिजनेस का ख्याल पल रहा था और उसने हां बोल दिया और दोनों मिलकर बिजनेस की प्लानिंग करने लगे।
साल 2016 में दोनों ने मिलकर चाय का बिजनेस किया–
उसके बाद दोनों दोस्तों ने बहुत सोच विचार करके चाय का बिजनेस शुरू करने की ठान ली। अनुभव और आनंद ने तय किया कि एक चाय शॉप खोलेंगे। जिसका मॉडल और टेस्ट दोनों सबसे अलग हटकर होगा। ‘2016 में तीन लाख की लागत से इन दोस्तों ने इंदौर में चाय की पहली दुकान खोली’। आनंद ने अपने पहले बिजनेस की बचत से कुछ पैसे लगाए. अनुभव ने बताया कि उन्होंने गर्ल्स होस्टल के साथ में किराए पर एक रूम लिया। कुछ सेकेंड हैंड फर्नीचर खरीदे थोड़े पैसे दोस्तों से उधार लेकर आउटलेट डिजाइन किया। इस दौरान पैसे खत्म हो गए और इनके पास बैनर तक लगाने के लिए पैसे नहीं थे। फिर एक नॉर्मल लकड़ी के बोर्ड पर हाथ से ही चाय की दुकान का नाम लिख दिया ‘चाय सुट्टा बार’। यहां हम आपको बता दें कि शुरुआत में इनका चाय का बिजनेस रफ्तार नहीं पकड़ सका लेकिन दोनों ने हार नहीं मानी। अनुभव के पिता भी नहीं चाहते थे कि वो दोनों इस काम को करें। लेकिन फिर भी इन्हें विश्वास था कि वह इसे आगे बढ़ाने में कामयाब होंगे। धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे और उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी। चाय सुट्टा बार नाम धीरे-धीरे फेमस हो गया । सबसे खास बात यह रही कि दोनों दोस्तों ने इस चाय के बिजनेस में ‘युवाओं’ पर अधिक फोकस रखा। वे बताते हैं कि आज हमारा सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का है और देशभर में इनके 165 आउटलेट्स हैं, जो 15 राज्यों में फैले हैं। विदेशों में 5 आउटलेट्स हैं। अब चाय सुट्टा बार रजिस्टर्ड भी हो चुका है।
नए बिजनेस आइडिया के साथ अलग-अलग स्वाद की चाय कुल्लड़ मे दी जाती है—
आनंद और अनुभव का कहना है कि जब वो अपने नए आउटलेट की ओपनिंग करते हैं तो उस दिन सभी को ‘मुफ्त’ में चाय और कॉफी पिलाते हैं, इस बहाने से लोगों को हमारे बिजनेस के बारे में भी पता चलता है और चाय पसंद आने के बाद वे हमारे कस्टमर भी बन जाते हैं’। सभी को ‘कुल्हड़’ में चाय पिलाई जाती है। अभी वे अलग-अलग स्वाद की चाय बेचते हैं। वे अदरक, इलायची, पान, केसर, तुलसी, नींबू और मसाला चाय बेचते हैं। चाय सुट्टा बार के मैन्यू में 10 रुपए से लेकर 150 रुपए तक की चाय है। जल्द ही वे अपने आउटलेट्स की संख्या बढ़ाने वाले हैं। वे कहते हैं कि हमारी कोशिश है कि देशभर में हर छोटे शहर में भी चाय का एक ऐसा मॉडल हो। जल्द ही वो लोग अपने आउटलेट्स की संख्या बढ़ाने वाले हैं। दोनों दोस्तों ने सैकड़ों लोगों को इसमें रोजगार भी दिया हुआ है। फिलहाल दोनों दोस्त अपने इस चाय के बिजनेस में खुश हैं और इसको विदेशों में भी फैलाने में लगे हुए हैं। इन दोस्तों को अपने चाय के बिजनेस को आगे बढ़ाने में नए-नए आइडिया ही इन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है। इसके साथ चाय बाजार में इनकी मार्केटिंग भी बहुत तगड़ी है।
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