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भोले का पर्व: शंकर-पार्वती के विवाह के साथ कई धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं शिवरात्रि से…
आज महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। भक्त भोलेनाथ की भक्ति में लीन हैं। सोमवार से ही सड़कों पर कांवड़ में गंगाजल ले जाते भक्त बम बम भोले, हर-हर महादेव के जयकारों के साथ चल रहे थे। फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। सोमवार आधी रात के बाद से ही देश की पवित्र नदियों में श्रद्धालु स्नान कर मंदिरों में भगवान शिव को जलाभिषेक कर रहे हैं। शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाता है । इस दिन हरिद्वार हर की पैड़ी पर बहुत बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है। यहीं से भक्त गंगा जल अपने-अपने गांव के महादेव मंदिर पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। शिव की उपासना में इस दिन व्रत करने की मान्यता होती है। बता दें कि साल भर में वैसे तो 12 शिवरात्रि आती हैं लेकिन फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व को लेकर कई धार्मिक मान्यता इस प्रकार हैं। शिवरात्रि वह रात्रि है जिसका शिवतत्व से घनिष्ठ संबंध होता है। भगवान शिव की अतिप्रिय रात्रि को ही शिव रात्रि या काल रात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के प्रदोषकाल में शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था। प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में सर्व ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव हुआ था। शास्त्रनुसार सर्वप्रथम ब्रह्मा व विष्णु ने महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पूजन किया था और सृष्टि की कल्पना की थी। शिव पुराण के ईशान संहिता में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्य के समान प्रभाव वाले लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही बन रहा है योग—
महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। राहु वृषभ राशि, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा। यह ग्रहों की दुर्लभ स्थिति है और विशेष लाभकारी हैं। मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है। यह भगवान शिव का प्रतीक है। शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन । इस योग में महादेव का पूजन-अर्चना श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत फलदायी है। इस दिन व्रत, पूजन के साथ जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक आदि अनुष्ठान विधि-विधान से किया जाएगा।
शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि 1 मार्च की सुबह 3:16 मिनट से 2 मार्च की सुबह 1 बजे तक रहेगी। शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिधि नामक योग बन रहा है। और इस योग के बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। वहीं परिधि योग के बाद से शिव योग शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही शिव पूजन के समय केदार योग रहेगा।
वहीं दूसरी ओर महाशिवरात्रि पर मंगलवार को उज्जैन में ‘शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव’ मनाया जाएगा। यह अब तक का सबसे भव्य समारोह होगा। इस दिन पूरे शहर में 21 लाख दीये प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। इनमें से 12 लाख दीप क्षिप्रा नदी के तट पर 10 मिनट में जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक यह रिकॉर्ड श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के नाम है।
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