दिल्ली
सियासत-ए-‘रविवार’: संसद सत्र से पहले आज बैठकों का दौर, विपक्ष के साथ तालमेल बैठाने की केंद्र की चुनौती…
दिल्लीः 29 नवंबर सोमवार से शुरू होने जा रहे हैं संसद के शीतकालीन सत्र में अब केंद्र सरकार को विपक्ष के साथ सामंजस्य बैठाने की बड़ी चुनौती होगी। इसी को लेकर मोदी सरकार आज विपक्ष के साथ बैठक करने जा रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी शीतकालीन सत्र से पहले बैठक कर रही है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरे दिन बहुत ही व्यस्त शेड्यूल है। सोमवार से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र को देखते हुए आज बैठकों का दौर चलेगा। इसके साथ महीने का आखिरी रविवार है। पीएम मोदी मन की बात के जरिए भी देश को संबोधित करेंगे। आइए अब जान लेते हैं आज होने वाली बैठकों के बारे में। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले परंपरा चली आ रही है कि सत्ता पक्ष विपक्षी दलों के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक करते हैं। इसी कड़ी में दोपहर 11:30 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विपक्षी दलों के नेता शामिल होंगे। बता दें कि इसके बाद भाजपा और एनडीए की भी दो अलग-अलग बैठकें बुलाई गई हैं।
सर्वदलीय बैठक के बाद दोपहर तीन बजे बीजेपी संसदीय कार्यकारिणी की बैठक होगी। इसके बाद शाम 4 बजे एनडीए की भी अहम बैठक होने जा रही है। कहा जा रहा है कि इस बैठक में एनडीए सत्र के लिए रणनीति बनाएगी। वहीं सरकार की तैयारियों के बीच विपक्षी दलों ने भी अपनी तैयारी के लिए सुबह 10 बजे एक मीटिंग बुलाई है। यह बैठक राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुलाई है। इसमें राहुल गांधी भी शामिल होंगे। इन सब बैठकों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित करेंगे। रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का यह 83वां एपिसोड होगा। प्रधानमंत्री मोदी आज वीडियो संबोधन मन की बात में कोरोना के नए वेरिएंट के बढ़ते खतरे पर देशवासियों से चर्चा कर सकते हैं। इसके बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शाम को संसद के उच्च सदन में राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की बैठक बुलाई है।
कृषि विधेयक को वापस लेने के साथ कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण है शीतकालीन सत्र–
बता दें 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर ली है। संसद का शीतकालीन सत्र काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि सरकार तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए एक विधेयक पेश करेगी। इस विधेयक पर पक्ष और विपक्ष में जमकर तकरार देखने को मिल सकती है। विपक्ष जहां इस कानून को वापस लेने के मामले पर सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है तो वहीं सरकार की ओर से यह कोशिश होगी कि विपक्ष के उठाए गए मद्दों का संतुलित जवाब दिया जाए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया है। पीएम मोदी ने घोषणा की थी आगामी सत्र के दौरान संसदीय प्रक्रिया के जरिए कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस ताजा घोषणा के चलते शीतकालीन सत्र काफी खास हो सकता है। दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कानून पूरी तरह निरस्त होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही थी। फिलहाल किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मुद्दों पर समाधान की मांग कर रहे हैं।
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