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Navratri: नवरात्रि के साथ झूमा बाजार, सुख-समृद्धि और कारोबार की दृष्टि से आई ‘मंगल घड़ी’…
इंतजार खत्म। त्योहारों का सीजन शुरू। ऐसी शुभ घड़ी जिसमें भक्ति की उपासना का महापर्व, उत्सव के साथ खरीदारी और नया काम शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त भी है। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका फिर उसके बाद 15 दिनों के श्राद्ध पक्ष में शांत बैठे लाखों लोग नए बिजनेस और अन्य नई प्लानिंग के साथ ‘श्रीगणेश’ करने के लिए आज तैयार हैं। देशभर के बाजारों में भी ‘चकाचौंध’ बढ़ गई है। ठेल (रेहड़ी) वालों से लेकर बड़े दुकानदारों के चेहरों पर रौनक छा गई है। आज से करीब एक महीने तक मुनाफा, कारोबार और कमाई की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी ने अपने-अपने हिसाब से तैयारी कर रखी है। आम हो या खास, कोई भी इस त्योहारी सीजन का ‘मौका’ गंवाना नहीं चाहते हैं। आज 7 अक्टूबर, गुरुवार है। देश में आज से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होने से भक्ति का उत्सव भी शुरू हो गया है। जिसे मां दुर्गा उत्सव भी कहा जाता है।
मंदिरों में साफ सफाई कर मां दुर्गा का श्रृंगार किया गया है, घरों में माता का दरबार सजाया गया है। भक्ति के गीत गूंज रहे हैं। लोग सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं । पश्चिम बंगाल में दुर्गा उत्सव की धूम रहती हैं। वहीं गुजरात में गरबा (डांडिया) धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। जिसमें भक्त व्रत रखकर माता की आराधना करते हैं। इस बार श्राद्ध की तिथि एक दिन बढ़ गई थी। इसी का असर नवरात्र पर पड़ा । 9 दिन की जगह इस बार नवरात्र 8 दिन का है। तीसरा और चौथा नवरात्र एक ही दिन होगा। मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा देवी की पूजा एक ही दिन होगी। मां का आगमन इस बार ‘पालकी’ में होगा। उनका प्रस्थान हाथी पर होगा। मां का पालकी पर आना और हाथी पर जाना शुभ माना गया है। हर दिन शक्ति के अलग-अलग स्वरूप का दिन होता है। मान्यता है कि अलग अलग स्वरूपों की पूजा के लिए अलग-अलग भोग लगाया जाता है। ‘शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है’। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है और धरती को उनका मायका कहा जाता है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। नौ दिनों तक भक्तिभाव से मां दुर्गा की पूजा करने से वह प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्ट हर लेती हैं। इस बार के नवरात्रि खास माने जा रहे हैं, कारण है कि नवरात्रि में पांच रवियोग के साथ सौभाग्य योग और वैधृति योग बन रहा है। इस वहज से इस नवरात्रि नए कार्यों की शुरुआत शुभ रहेगी।
मां दुर्गा के 9 दिव्य स्वरूपों की उपासना का महापर्व है शारदीय नवरात्रि—
बता दें कि शारदीय नवरात्रि हिंदुओं की विशेष आस्था का पर्व है। नवरात्रि को देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व की शुरुआत तब हुई जब मां दुर्गा के द्वारा राक्षस महिषासुर का वध कर दिया गया। दोनों के बीच 9 दिनों तक लड़ाई चली और दसवें दिन मां दुर्गा ने राक्षस का वध कर दिया था। इन नौ दिनों में मां दुर्गा ने अपने प्रताप से महिषासुर का अंत किया था। उसी समय से नवरात्रि का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। दुर्गा का जन्म ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी के तेज से माना जाता है। दैवीय पुराण में कलश को नौ देवियों का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि कलश के मुख में श्रीहरि, कंठ में रुद्र और मूल में ब्रह्मा जी वास करते हैं। माना जाता है कि कलश घर में सुख समृद्धि लाता है। बता दें कि आज से शुरू हो रही नवरात्रि 14 अक्टूबर तक रहेंगी। पहला दिन 7 अक्टूबर, मां शैलपुत्री की पूजा, दूसरा दिन 8 अक्टूबर, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, तीसरा दिन 9 अक्टूबर, मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा, चौथा दिन 10 अक्टूबर, मां स्कंदमाता की पूजा, पांचवां दिन 11 अक्टूबर, मां कात्यायनी की पूजा छठवां दिन 12 अक्टूबर, मां कालरात्रि की पूजा, सातवां दिन 13 अक्टूबर, मां महागौरी की पूजा, आठवां दिन 14 अक्टूबर, मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। इसके अगले दिन 15 अक्टूबर विजयादशमी (दशहरा) पर्व मनाया जाएगा। नवरात्रि में करें इन मंत्रों का उच्चारण, ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
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