उत्तराखंड
Big Breaking: सीएम धामी का बड़ा ऐलान, लोक पर्व इगास पर राजकीय अवकाश घोषित…
देहरादून: उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा ऐलान किया है। छठ पूजा के बाद अब सीएम ने लोक पर्व इगास पर राजकीय अवकाश घोषित कर दिया है। सीएम ने इसकी जानकारी ट्वीट कर दी है। गुरुवार शाम उन्होंने ट्वीट किया, उत्तराखण्ड की समृद्ध लोकसंस्कृति कु प्रतीक लोकपर्व ‘इगास’ पर अब छुट्टी रालि। हमारू उद्देश्य च कि हम सब्बि ये त्यौहार तै बड़ा धूमधाम सै मनौ, अर हमारि नई पीढी भी हमारा पारंपरिक त्यौहारों से जुणि रौ। आपको बता दें कि छठ पूजा के बाद विपक्ष और आमजन सोशल मीडिया पर प्रदेश सरकार से इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग उठी थी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में भी दीपावली को एक अनूठे अंदाज में मनाने की परंपरा है। उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं। पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है। शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के भैलो खेला जाता है। भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है। इगास पर पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
आपको बता दें कि गढ़वाल में 4 बग्वाल होती है, पहली बग्वाल कर्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है। दूसरी अमावस्या को पूरे देश की तरह गढ़वाल में भी अपनी लोक परंपराओं के साथ मनाई जाती है। तीसरी बग्वाल बड़ी बग्वाल (दिलावी) के ठीक 11 दिन बाद आने वाली, कर्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। गढ़वाली में एकादशी को इगास कहते हैं। इसलिए इसे इगास बग्वाल के नाम से जाना जाता है। चौथी बग्वाल आती है दूसरी बग्वाल या बड़ी बग्वाल के ठीक एक महीने बाद मार्गशीष माह की अमावस्या तिथि को। इसे रिख बग्वाल कहते हैं। यह गढ़वाल के जौनपुर, थौलधार, प्रतापनगर, रंवाई, चमियाला आदि क्षेत्रों में मनाई जाती है।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
👉 उत्तराखंड टुडे के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 उत्तराखंड टुडे के फेसबुक पेज़ को लाइक करें