उत्तराखंड
कोरोना की दवा पर सियासी बाजार गर्म, छलावे का आरोप, योग गुरु सहित 4 पर मामला दर्ज
देहरादून। योग गुरु बाबा रामदेव की कोरोना संक्रमण को शत-प्रतिशत ठीक करने वाली दवा बाजार में आने के बाद से सियासी बाजार गर्म हो चुका है,
यंहा तक कि पहले जहां जयपुर के गांधी नगर थाने में आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. संजीव गुप्ता ने एप्लीकेशन दी। वहीं अब अधिवक्ता बलराम जाखड़ और अंकित कपूर ने ज्योतिनगर थाने में बाबा सहित चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है।
कोविड 19 की दवा ‘कोरोनिल’ का ऐलान कर दुनिया भर में तहलका मचाने वाले बाबा रामदेव और निम्स के डॉ. बलवीर सिंह तोमर, आचार्य बालकृष्ण, डॉ, अनुराग तोमर और अनुराग वार्णय के खिलाफ तहरीर दी गई है।
तहरीर में अधिवक्ता बलराम जाखड़ ने आरोप लगाया है की, निम्स में भर्ती नॉर्मल मरीजों पर ये रिसर्च किया गया और निम्स यूनिवर्सिटी के सहयोग से कोविड-19 की दवा बनाई गई। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कोविड-19 को महामारी और राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है।
जिसको लेकर कई एडवाइजरी भी समय समय पर हुई हैं। इनके तहत कोविड-19 के तहत किसी भी प्रकार के भ्रामक और गलत तथ्य प्रस्तुत करने पर कानूनी करवाई भी की जा रही है।
एडवोकेट ने यह भी आरोप लगाया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों को धोखा देकर अरबों रुपए कमाने के आशय से पतंजलि योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव, नेशनल मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस जयपुर के डॉक्टर बलवीर सिंह तोमर, दिव्या फॉर्मेसी के प्रबंध निर्देशक आचार्य बालकृष्ण और अनुराग वार्णय ने षड्यंत्र करके योजना के तहत 23 जून को प्रेसवार्ता के माध्यम से यह घोषणा की उनके तरफ से कोरोनिल के नाम से कोविड-19 की दवा का बना ली गई है।
जिसका शत-प्रतिशत परिणाम है, जो 3 से 7 दिन में कोविड-19 को समाप्त कर देती है। इसके अलावा तहरीर में यह भी बताया गया है कि निम्स मेडिकल कॉलेज के डॉ. बलवीर सिंह तोमर और डॉ. अनुराग तोमर की देखरेख में दवा का क्लिनिकल ट्रायल विधि अनुसार किया गया।
दवा बनने की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही आयुष मंत्रालय ने दवा के विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश जारी करते हुए स्पष्ट बताया कि इससे संबंधित कोई अनुमति आयुष मंत्रालय की ओर से नहीं ली गई है और ना ही इसके संबंध में प्रशिक्षण किया गया है।
जिसको लेकर यह मांग की जाती है कि इसके लिए राम देव बाबा सहित चार लोगों ने रोगियों के साथ छल करके फर्जी कागजात बनाए और स्वयं फर्जी कमेटियां बनाकर फर्जी रिपोर्ट तैयार की है।
जो कि दवाई बेचकर आम लोगों का जीवन खतरे में डालने का घोर अपराध है। बहरहाल प्राथमिकता दर्ज होने के बाद तफ्तीश की बात की जा रही है।
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