उत्तराखंड
आपदा: उत्तराखंड में खतरे की घंटी, उफान पर ऋषि गंगा, धौली नदी, खाली करवाए गए बैराज,खौफ में लोग…
देहरादूनः उत्तराखंड में बिन बारिश पहाड़ों में फिर नदियों का जलस्तर बढ़ने से खतरे की घंटी बजने लगी है। ऋषिगंगा घाटी और नीति मलारी घाटी में ग्लेशियर पिघलने से मंगलवार सुबह ऋषि गंगा, धौली नदी उफान पर आ गई। जलस्तर बढ़ने के बाद एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना के बैराज में पानी भर गया, अलार्म बजने लगे। आनन-फानन में बैराज खाली कराया गया। खतरे का सायरन बजते ही क्षेत्र में दहशत मची हुई है। हर कोई डरा हुआ है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार मंगलवार सुबह लगभग 6:30 बजे नदी का जलस्तर एकाएक बढ़ने पर अर्ली अलार्म सिस्टम बजाया गया। इससे परियोजना स्थल के आसपास मौजूद कर्मचारी और ग्रामीण सुरक्षित स्थानों में पहुंच गए। पानी बढ़ने से परियोजना के काम में बाधा पहुंची है। अब नदी के बहाव की दिशा बदलने का प्रयास किया जा रहा है। बैराज साइट में काम के दौरान आरपार आने जाने के लिए बनाया गया अस्थाई कलवर्ट धौली नदी के बहाव की चपेट में आकर बह गया। गर्मी का मौसम आते ही ग्लेशियरों के पिघलने का सिलसिला शुरू हो चुका है। जिससे ऋषि गंगा और धौली नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। जो बड़ी तबाही भी मचा सकता है।
गौरतलब है कि पिछले साल 7 फरवरी को ऋषि गंगा क्षेत्र में ही प्राकृतिक आपदा से जान और माल का भारी नुकसान हुआ था। इस आपदा में 200 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी थीं और इनमें से कुछ का तो आज तक कोई पता नहीं चला। आपदा में जल विद्युत परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचा था। विष्णुगाड परियोजना में 2978 करोड़, जबकि ऋषिगंगा परियोजना में 40 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया जा चुका है। इसके अलावा, करीब 1000 करोड़ के अन्य नुकसान का अनुमान था।

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