देहरादून
आग का कहर: जंगलों में लगी आग हुई विकराल, लाखों की वन संपदा जलकर हुई राख…
देहरादून: प्रदेश के जंगल धू धू कर जल रहे हैं जो अब विकराल रूप ले चुकी है। यह आग अब काल बनकर रिहायशी इलाकों तक पहुंचने लगी है। खेतों और घास के ढेरों को राख करने के अलावा अब यह आग ग्रामीणों के लिए भी काल बनती जा रही है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक जंगल की आग का कहर थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रति दिन जंगलों में लगी आग से लाखों की वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भी जान पर बनी हुई है। बीते छह माह में प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक जिंदगियां आग की भेंट चढ़ चुकी हैं। जबकि कई घायल भी हुए हैं। इसके अलावा वनों की आग की चपेट में आकर बड़ी संख्या में मवेशी मृत और घायल हुए हैं। पौड़ी, अल्मोड़ा और टिहरी में आग की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं। करीब एक सप्ताह पूर्व बारिश और बर्फबारी के कारण जंगल की आग से कुछ राहत जरूर मिली थी। जिससे कुछ दिन जंगलों के धधकने का सिलसिला काफी हद तक थम गया था। लेकिन अब गर्मी बढ़ने और चटख धूप के बीच फिर से उत्तराखंड के जंगल सुलगने लगे हैं। आपको बता दें कि प्रदेश में जंगलों के धधकने का सिलसिला पिछले साल अक्टूबर से जारी है। इस दौरान प्रदेश में 2025 घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 2764.93 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान हो चुका है। गढ़वाल मंडल में ही 1200 घटनाओं में 1668.17 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। प्रदेशभर में अब तक सात लोग जंगल की आग की चपेट में आकर जान गवां चुके हैं। इसके अलावा 19 मवेशियों की मौत और 22 मवेशी गंभीर रूप से झुलसे हैं। छह महीने में प्रदेश में 12752 पेड़ आग की चपेट में आकर राख हो गए हैं। साथ ही आपको बता दें कि बीते 24 घंटे के दौरान उत्तराखंड में जंगल की आग की 190 घटनाएं हुई हैं। जिसमें कुल 166.47 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसमें गढ़वाल में सर्वाधिक 94 घटनाएं, कुमाऊं में 80 और संरक्षित वन क्षेत्र में 16 घटनाएं शामिल हैं।
सबसे ज्यादा प्रभावित पांच जिले
जिला घटनाएं प्रभावित क्षेत्र
पौड़ी 572 825.02
अल्मोड़ा 175 352.40
टिहरी 224 332.85
देहरादून 138 243.90
बागेश्वर 169 234.43
(प्रभावित क्षेत्र हेक्टेयर में)
आपको बता दें कि बीते दिन गैरसैंण से सटे गडोली-सोनियाणा के जंगल में भीषण आग धधक उठी। समीप ही गडोली निवासी पूर्व लोनिवि कर्मचारी रघुराम अपने खेतों में हल लगा रहे थे कि तेजी से फैलती आग को देख बुझाने को दौड़ पड़े। बुजुर्ग ने काफी आग बुझाई और काफी क्षेत्र में आग फैलने से रोकी। लेकिन एकाएक दूसरी ओर से आग फैल गई और रघुराम आग की लपटों में घिर गए और बुरी तरह झुलस गए। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
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