देहरादून
एमकेपी का लाखों का घोटाला, उच्च स्तर पर होगी जांच, हाई कोर्ट का आदेश
देहरादून। अमित रतूड़ी
राजधानी का बहुचर्चित घोटाला। जिसमे देहरादून महादेवी कन्या पाठशाला (MKP) में यूजीसी बजट के 45 लाख का गबन किया गया था। मामले को लेकर हाईकोर्ट ने दोषियों के खिलाफ हाई लेवल पर जांच के आदेश देकर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।
पूर्व में उच्चन्यायालय ने स्टेट गवर्मेंट, यूजीसी और तत्कालीन निदेशक के साथ प्राचार्य को नोटिस जारी किया था। कॉलेज की पूर्व स्टूडेंट सोनिया ने इस घोटाले को लेकर जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी।
जिसको लेकर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की है।
क्या है घपला
यूजीसी की 45 लाख की धनराशि कॉलेज में स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए जारी किए गए थे। कालेज की बुनयादी सुविधा सुधार यूजीसी पर आश्रित है। इसी ग्रांट से पहले भी कैम्पस में कई सुविधा लैस की गई थी।
2012-2013 के बजट में धनराशि का उपयोग मंहगे उपकरण खरीदने में किया गए जो उपकरण 2019 तक के परीक्षण में पाए नही गए। आरोप था कि नियमों के अनुसार टेंडर न कर केवल कोटेशन के आधार पर पैसों की बंदरबांट कर दी गई। कोटेशन तैयार भी किये गए तो उसमें भी गड़बड़ी पाई गई।
जांच रिपोर्ट में भी गड़बड़ी
पूरे मामले में जब सरकार को लगा कि सभी शक के दायरे में हैं तो घोटाले में 2016-2017 में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। लेकिन मामला दबाए रखा गया।2019 में शासन की जांच में 7,68,000 का सामान मिला ही नहीं।
जिसके चलते यूजीसी ने अगले पांच वर्ष तक कोई भी धनराशि देने से मना कर दिया। हालत यह है कि कॉलेज की स्थति पस्त हो गई और जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ा। मामले में उच्च शिक्षा और पुलिस दोनों विभाग अलग अलग बाते लिखते गए।
एक और पुलिस ने जितेंद्र सिंह नेगी को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया तो वंही उच्च शिक्षा विभाग ने सचिव जितेंद्र सिंह नेगी को पूरे मामले में दोषी मान लिया। अब हकीकत के पहलुओं की हाई लेवल पर जांच के लिए उच्च न्यायालय ने निर्देश दे दिए हैं।
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