देहरादून
Big News: उत्तराखंड में उजड़ गया ये गाँव, कल तक यहाँ थी किलकारी आज पसरा मातम, बेघर हुए 90 परिवार…
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी से सटे लोहारी गांव में एक सभ्यता पूरी तरह पानी डूबकर समाप्त होने जारी है। नवरात्र में जहां गांव में खुशियां थी वहां आज मातम पसर गया है। ग्रामीणों में आक्रोश है। खुशियों की जगह आज गांव में जेसीबी गरज रहा है। 90 परिवारों का बुरा हाल है। ये कार्रवाई लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना के तहत की जा रही है। इस योजना से प्रभावित ग्राम लोहारी में जेसीबी के गरजने पर स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया। इस दौरान ग्रामीणों की मौके पर मौजूद अधिकारियों से तीखी झड़प भी हुई।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार देहरादून जिला प्रशासन ने जल विद्युत परियोजना से प्रभावित लोहारी गांव में रहने वाले 90 परिवारों को 48 घंटे में गांव खाली करने के नोटिस थमा कर गांव पर जेसीबी चला दी है। प्रशासन के इस नोटिस और कार्रवाई से ग्रामीण सदमे में हैं और काफी आक्रोशित भी हैं। लोगों का कहना है कि शासन ने उन्हें विस्थापन का पर्याप्त समय नहीं दिया। नोटिस मिलने के बाद वे स्वंय ही अपने घरों को तोड़ रहे थे। लेकिन प्रशासन ने बिना समय दिए जेसीबी लगा मकानों को तोड़ना शुरू कर दिया। पैतृक गांव से बिछड़ने का दर्द ग्रामीणों की आंखों में साफ नजर आ रहा है। ग्रामीणों को चिंता सता रही है कि इतने कम समय में वे कैसे अपने लिए नया आशियाना खोजें कहा जाए।
गौरतलब है कि लोहारी गांव लखवाड़ और व्यासी दोनों परियोजनाओं से प्रभावित हो रहा है। व्यासी परियोजना से आसपास के 6 गांव के 334 परिवार प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से एक जौनसार-भाबर की अनूठी संस्कृति और परंपरा वाला जनजातीय आबादी वाला गांव लोहारी भी है। 90 परिवार वाला ये पूरा गांव झील में समा जाएगा। बेहद सुंदर-पर्वतीय शैली में बने मकान भी झील में समा जाएंगे, जिससे एक पूरी सभ्यता डूब जाएगी। बताया जा रहा है कि लखवाड़-व्यासी परियोजना के लिए वर्ष 1972 में सरकार और ग्रामीणों के बीच जमीन अधिग्रहण का समझौता हुआ था। 1977-1989 के बीच गांव की 8,495 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है। जबकि लखवाड़ परियोजना के लिए करीब 9 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना बाकी है।
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