देहरादून
निराशा: योग का उत्तराखण्ड प्रदेश, लेकिन योगाचार्यों के हाथ सिर्फ निराशा…
देहरादूनः आज पूरा विश्व योग दिवस मना रहा है। यहां तक कि देहरादून से लेकर पूरे प्रदेश में योग की अलख जगाई जा रही है। ऐसे में प्रदेश के लगभग 60 हजार योगाचार्य अभी भी बेरोजगार हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि राज्य गठन के बाद से लेकर अब योगा में ट्रेंड हो चुके करीब 60 हजार से अधिक योग प्रशिक्षितों को योग में रोजगार की तलाश है।
यहां तक कि इतने सालों में आज तक न ही किस प्रशिक्षित को सरकारी सेवा में लिया गया है और न ही दूर तक संभावनाएं लग रही हैं। सरकार इस बावत बड़े दावे तो करती आई है, लेकिन ठोस पहल शुरू नहीं कर पाई। एक बार फिर से आज विश्व योगा दिवस पर योग प्रशिक्षितों की निगाहें टिकी हुई हैं। आज राज्य में 60 हजार से अधिक योग प्रशिक्षित बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई है। इनमें से कई ऐसे युवा हैं, जिनकी उम्र भी पार हो चुकी है और अब वे डिग्री लेकर स्वरोजगार कर रहे हैं।
वादे किए पर नियुक्ति नहीं मिली
बेरोजगारों के मुताबिक एक मार्च 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टिहरी में आयोजित एक समारोह में जूनियर हाईस्कूलों एवं उच्च स्तर की कक्षाओं में योग शिक्षा के लिए योगाचार्यों की नियुक्ति की घोषणा की थी। इसके बाद कैबिनेट में भी प्रस्ताव आया। तब निर्णय लिया गया कि 50 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में योग शिक्षकों एवं बीपीएड प्रशिक्षितों को नियुक्ति दी जाएगी। धामी कैबिनेट में भी सरकारी महाविद्यालयों, हर ब्लॉक के एक इंटर कालेज में योग शिक्षक की भर्ती का प्रस्ताव आया, लेकिन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं मिली।

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