उत्तराखंड
देहरादून: शपथ पत्र और नोटरी में फर्जीवाड़ा, पढ़िए पूरी खबर
UT- देहरादून में फर्जीवाड़े से सैकड़ों स्टाम्प (शपथ पत्र) लोगों ने बनवा लिए हैं। इन शपथ पत्रों का प्रयोग सरकारी दस्तावेज तैयार करने के साथ ही जमीन, स्कूल-कॉलेजों में दाखिले आदि के लिए प्रयोग किया जा रहा है। स्टाम्प वेंडरों की लापरवाही से यह फर्जीवाड़ा चल रहा है। बिना नाम के स्टाम्पों की नोटरी भी होने लगी है। राज्य में सरकारी स्टाम्प (शपथ पत्र) ऑनलाइन बेचे जाते हैं। इसके लिए कचहरी और तहसील परिसरों में लाइसेंस देकर वेंडर बनाए गए हैं। शपथ पत्र जैसे महत्तपूर्ण दस्तावेज में स्टाम्प वेंडर बड़ी गड़बड़ी कर रहे हैं। स्टाम्प जारी करने के लिए वेंडरों की जिम्मेदारी है कि वह खरीदार का दस्तावेज देखकर पूरा नाम और खरीदने का उद्देश्य भी जारी करें। स्टाम्प वेंडर आए दिन स्टाम्प विक्रेता का नाम दर्ज करने के बजाए केवल मिस्टर, मिसेज, श्री, श्रीमती जैसे शब्द लिखकर ही स्टाम्प जारी कर देते हैं। उनपर खरीदने का उद्देश्य दर्ज करना तो दूर की बात है। ऐसे में स्टाम्प लेकर लोग बड़ा फर्जीवाड़ा कर सकते हैं। वेंडरों के इस फर्जीवाड़े का फायदा कई लोग गलत प्रयोग करके उठाते हैं।
नोटरी भी ब्लैंक स्टाम्प पर : स्टाम्प वेंडरों के बिना नाम के जारी शपथ पत्रों पर नोटरी भी आसानी से हो जाती है। नोटरी के दौरान दाखिले, किराएनामे, गैस कनेक्शन आदि के लिए बिना नाम पते का फार्मेट लगाकर लोग नोटिरी भी करा ली जाती है। इससे साफ है कि शपथ पत्र लेकर कोई किसी का भी नाम दर्ज कर फर्जीवाड़ा कर सकता है।
ऐसे तो घुसपैठिए भी बना लेंगे : जिस तरह स्टाम्प जारी हो रहे हैं, उससे साफ है कि घुसपैठिए भी इन्हें बना सकते हैं। क्योंकि स्टाम्प जारी करते वक्त पहचान पत्र भी चेक नहीं किया जा रहा है। शपथ पत्र की मदद से कोई भी मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य परिचय पत्र बनाकर बाद में आधार भी हासिल कर लेगा।
खतरनाक हो सकता है साबित
बिना नाम के जारी किया गया शपथ पत्र खतरनाक साबित हो सकते हैं। लोग इसका प्रयोग खरीदने के लंबे समय बाद भी कर सकते हैं। क्योंकि नाम पता इसमें दर्ज नहीं होता है। बाद में वह नाम पता दर्ज कर किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं और शपथ पत्र भी पुराना साबित होता है।
शैक्षिक संस्थानों में खरीदे गए ब्लैंक स्टाम्प
दून के कई शैक्षिक संस्थानों से ब्लैंक शपथ पत्र खरीदे गए हैं। इन पर जुलाई के पहले सप्ताह की तिथि दर्ज की गई है। सूत्रों की माने तो इनका प्रयोग देरी से होने वाले दाखिले में करेंगे। नोटरी और स्टाम्प खरीदने की तारीख जुलाई के पहले सप्ताह की होगी तो कई देरी से होने वाले दाखिलों को भी इनके जरिए जल्दी दर्शा दिया जाएगा।
शपथ पत्र में वेंडर और खरीदार का पूरा नाम दर्ज करना होता है। सभी वेंडरों को निर्देश दिए गए हैं। बिना नाम दर्ज किए स्टाम्प जारी किए जा रहे हैं तो गलत है। जांच में ऐसे स्टाम्प अवैध माने जाते हैं।
बीर सिंह बुद्धियाल, एडीएम (वित्त एवं राजस्व)
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