उत्तराखंड
अच्छी खबर: सीएम रावत की एक और पहल, उत्तराखंड में खुलेंगीं 4 नई चाय फैक्ट्री, गैरसैंण में बनेगा मुख्यालय
चम्पावत। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चाय विकास बोर्ड की समीक्षा बैठक ली। समीक्षा बैठक का एजेंडा था कि बोर्ड द्वारा चंपावत क्षेत्र में 100 हेक्टेयर नई भूमि चाय बागान हेतु चयनित की जा चुकी है।
जिसमें बोर्ड द्वारा 35 हेक्टेयर क्षेत्र में नया प्लांटेशन बोर्ड की वार्षिक बजट से किया जा चुका है। साथ ही पूर्व में स्थापित 225 हेक्टेयर क्षेत्रफल से प्राप्त हरी पत्तियों की प्रोसेसिंग हेतु एक बड़ी चाय फैक्ट्री स्थापना के संबंध में जिलाधिकारी चंपावत से निशुल्क भूमि बोर्ड के नाम हस्तांतरित करवाई जा चुकी है।
जिस क्रम में बोर्ड द्वारा फैक्ट्री निर्माण कार्य हेतु निर्माण एजेंसी उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम लोहाघाट की डीपीआर तैयार कर शासन को प्रेषित की जा चुकी है। जनपद चंपावत के सीलिंगटाक चाय बागान क्षेत्र में टूरिज्म का विकास किया जाएगा।
जिसके अंतर्गत आगे कार्रवाई पर्यटन विभाग के स्तर से होनी है जिसके क्रम में पर्यटन विभाग द्वारा विस्तृत कार्य योजना तैयार कर बजट आवंटन हेतु शासन को प्रेषित की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में चाय बागान के कास्तकारों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं। जैसे चाय विकास बोर्ड द्वारा काश्तकारों से 30 वर्षों हेतु भूमि लीज पर ली जाती है। जिसमें कई काश्तकार लंबी अवधि हेतु अपनी भूमि लीज पर देने में असमर्थ हो रहे हैं।
बोर्ड द्वारा उक्त योजना के अंतर्गत काश्तकार परिवार के एक सदस्य को उनकी भूमि में रोपित पौधों के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। बोर्ड के प्रबंध परिषद द्वारा दिए गए निर्णय के क्रम में काश्तकार श्रमिकों को 100 दिन का रोजगार मनरेगा व शेष दिनों का रोजगार बोर्ड बजट से किया जा रहा है। मनरेगा श्रमांश दर कम होने के कारण श्रमिकों द्वारा मनरेगा से कार्य करने में आनाकानी की जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2004 में बोर्ड गठन के समय बोर्ड का मुख्यालय नैनीताल से अल्मोड़ा स्थानांतरित कर दिया गया था। कार्यालय स्थानांतरण के उपरांत वर्तमान तक बोर्ड द्वारा जिला पंचायत से किराए पर कार्यालय को लेकर संचालित किया जाता परंतु अब चाय बोर्ड का मुख्यालय प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बनाया जाएगा। तथा जो किसान स्वयं की भूमि पर मनरेगा के लिए मजदूरी किया करते हैं वही किसान चाय बागान के मालिक बन अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ अन्य श्रमिकों की आर्थिकी को भी बल देंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश में चाय की 4 नई फैक्टरियां खोली जाएगी तथा लीज भूमि 30 वर्ष से कम कर 15 वर्ष किया जाएगा। जनपद चम्पावत की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी सुरेंद्र नारायण पांडे ने बताया कि 2003 में जिन किसानों से चाय बागानों के लिए जमीन लीज पर ली गयी थी उनका भुगतान न होने के कारण उनमे काफी नाराजगी हैं इसलिए किसानों को लीज रेट दे दिया जाए।
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