उत्तराखंड
हाईकोर्ट से ‘पूर्व मुख्यमंत्रियों’ को बड़ा झटका, पढ़िए पूरी खबर
UT-उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास मामले हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए हैं कि व संबंधित मुख्यमंत्रियों से छह माह के अंदर बाजार दर के अनुरूप वसूली करे। बीती 26 फरवरी को खण्डपीठ ने मामले में सुनवाई कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। प्रकरण में उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व विजय बहुगुणा की ओर से बताया गया था कि उन्होंने सरकार की ओर से निर्धारित धनराशि जमा कर दी है।
जबकि पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के सांसद भगत सिंह कोश्यारी की ओर से धन के अभाव में निर्धारित राशि जमा करने में असमर्थता जतायी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को असंवैधानिक तरीके से आवासों का आवंटन किया गया है। उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली 1997 को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक घोषित करार दिया था। साथ ही कहा था कि सन् 2004 में जारी आवास आवंटन संबंधी शासनादेश भी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होता है। उन्होंने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि कोर्ट तय बाजार दर पर किराये की धनराशी वसूली के निर्देश जारी करे।
ये थी याचिका
देहरादून की गैरसरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में प्रदेश के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी, पं स्व. नारायण दत्त तिवारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूड़ी व विजय बहुगुणा को सरकारी आवास आवंटित किये जाने का मामला उठाया गया था। जिन पर कुल 2.85 करोड़ रूपये की धनराशि बतौर किराया आंकी गयी थी। इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर 4757758 रूपये, स्व0 नारायण दत्त तिवारी पर 1,12,98182 रूपये, रमेश पोखरियाल निशंक पर 40,95,560 रूपये, भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 46,59,776 रूपये व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर 37,50,638 रूपये की बकायी राशि आंकी गयी थी।
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