उत्तराखंड
स्वर्गाश्रम परमाध्यक्ष चिदानंद मुनि मामले में नहीं हो पाई सुनवाई, नेटवर्क प्रॉब्लम का था मसला
कृष्णा कोठारी। ऋषिकेश। नैनीताल हाईकोर्ट में चिदानंद मुनि के वीरपुरखुर्द वीरभद्र, ऋषिकेश में रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर 52 कमरों की बिल्डिंग का निर्माण करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर नेटवर्क खराब होने के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। जिस पर अब सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
इस संबंध में राज्य सरकार को कोर्ट को बताना था कि अवैध रूप से बना निर्माण कार्य ध्वस्त किया गया है या नहीं। पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि अवैध निर्माण कार्य कितने दिनों में ध्वस्त किया जा सकता है।
जिस पर सरकार ने कोर्ट में शपथपत्र पेश कर कहा था कि इसे ध्वस्त करने के लिए सरकार ने एक कंपनी को ठेका दे दिया है और कंपनी ने सरकार को आश्वासन दिया है कि इस निर्माण को लगभग 23 दिन के भीतर ध्वस्त कर दिया जाएगा।
कोर्ट ने सरकार के इस मत से सहमत होकर मामले की सुनवाई के लिए आज मंगलवार की तिथि नियत की थी। लेकिन आज खराब नेटवर्क होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चिदानंद ने रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि पर कब्जा कर वहां विशाल निर्माण कर लिया है। याचिकाकर्ता ने अतिक्रमण हटाकर यह भूमि सरकार को सौंपने की मांग की थी।
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