उत्तराखंड
बाल गंगाधर तिलक की 101वीं पुण्यतिथि पर राजकीय विद्यालय में आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबिनार…
हरिद्वारः भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे कई महानायक हैं जिन्होंने अपने महान कार्यों से देश को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे ही एक महान नेता हैं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक। बाल गंगाधर को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है स्वतंत्रता के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा पर जोर दिया था। लाल-बाल-पाल के बाल गंगाधर तिलक को देश लखनऊ समझौता और केसरी अखबार के लिए भी याद करता है। इसी कड़ी में हरिद्वार में बाल गंगाधर तिलक की 101 वीं पुण्यतिथि पर राजकीय महाविद्यालय मरगूबपुर,रुडकी में एक वेबिनार का आयोजन किया गया।
आपको बता दें कि राजकीय महाविद्यालय मरगूबपुर के इतिहास विभाग द्वारा बाल गंगाधर तिलक के भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में बाल गंगाधर तिलक से जुड़े पहलुओं पर बात की गई।कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य डॉ सत्यपाल सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का विधिवत संचालन डॉ अनिल कुमार द्वारा किया गया। इस दौरान उन्होंने बताया कि भारतीय राष्ट्रवाद एक आधुनिक तत्त्व है। इस राष्ट्रवाद का अध्ययन अनेक दृष्टिकोणों से महत्त्वपूर्ण है।राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया अत्यन्त जटिल और बहुमुखी रही है। भारत मे अंग्रेजों के आने से पहले देश में ऐसी सामाजिक संरचना थी जो कि संसार के किसी भी अन्य देश मे शायद ही कहीं पाई जाती हो। वेबिनार के कोर्डिंनेटर डॉ प्रवेश कुमार त्रिपाठी ,असिस्टेंट प्रो हिंदी विभाग ने बताया की ऐसे अनेक अवसर महाविद्यालय के द्वारा प्रदान किए जाते हैं एवं आगे भी प्रदान किए जाते रहेंगे। जिससे महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र/छात्राओं का बहुमुखी विकास हो सके साथ ही महाविद्यालय को उच्चस्तर पर पहुँचाया जा सके।
इस वेविनार को सफलता प्रदान करने में डॉ शेफाली शुक्ला,डॉ मुकेश कुमार गुप्ता,डॉ मंजू अग्रवाल,डा गिरिराज सिंह,डॉ अनिल कुमार,डॉ प्रवेश कुमार त्रिपाठी , पूनम, महिपाल सिंह रावत, अब्दुल रहमान, पिंटू कुमार , विजय सिंह नेगी का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक, उच्च शिक्षा डॉ पी. के. पाठक, उप निदेशक, उच्च शिक्षा डॉ. राजीव रतन ने विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। बीज वक्ता के रूप में प्रो. बिन्दा पंराजपे, इतिहास विभाग, बी. एच. यू. वाराणसी, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ संजय कुमार, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय सतपुली, प्रो. उमेश बगाडे, इतिहास विभाग, मराठवाङा विश्वविद्यालय, ओरंगाबाद, प्रो. विघ्नेश त्यागी, विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, चो.च. सिंह वि. वि. ने भी अपने – अपने विचार रखें। डॉ मूशक, डॉ हर्षित, डॉ विनोद चौधरी के साथ अन्य लोगों ने अपने शोध पत्र पढे।
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