उत्तराखंड
एम्स ऋषिकेश में रोगी सुरक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया…
स्वास्थ्य सेवा में पेशेन्ट सेफ्टी के जोखिम प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करने के लिए बृहस्पतिवार को एम्स ऋषिकेश में रोगी सुरक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उत्त्राखण्ड के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों और मेडिकल काॅलेजों से आए स्वास्थ्य पेशेवरों ने रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में व्यापक मंथन कर इसे बढ़ावा देने के लिए अभिनव दृष्टिकोणों पर चर्चा की।
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग और एम्स ऋषिकेश के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ’पेशेन्ट सेफ्टी कान्क्लेव’ के दौरान प्रतिभागी स्वास्थ्य पेशेवरों ने रोगी सुरक्षा के बारे में सक्रिय रणनीतियों और दूरदर्शी समाधानों के महत्व पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने रोगियों के डेटा सुरक्षा और सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए ढांचागत सुरक्षा मजबूत करने की आवश्यकता भी बतायी।
अपने संबोधन में एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो0 मीनू सिंह ने रोगी को सुरक्षित और सम्मानजनक देखभाल प्रदान करना प्रत्येक अस्पताल की पहली जिम्मेदारी बतायी। उन्होंने कहा कि न्यू बोर्न बेबी के मामले में पेशेन्ट सेफ्टी की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है। कहा कि दवाओं का सेवन, इलाज के दौरान एतिहातन बरते जाने वाले सुरक्षात्मक उपाय, संक्रमण से बचने के तरीके और रोगी के अधिकार के बारे में जानकारी का अभाव रोगी के स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है।
इससे पूर्व काॅन्क्लेव को संबोधित करते हुए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और डीजी हेल्थ सर्विस स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय डाॅ0 सुजाता चैधरी ने कहा कि पेशेन्ट सेफ्टी एक सतत प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक हेल्थ केयर वर्कर को विशेष जिम्मेदारी निभानी होती है। मंत्रालय के ही डी.ए. डीजी और विशिष्ट अतिथि डाॅ0 अविनाश सुंथालिया ने पेशेन्ट सेफ्टी विषय पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक अस्पताल में पेशेन्ट सेफ्टी संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता है।
कहा कि सरकार प्रत्येक अस्पताल में पेशेन्ट सेफ्टी सेल बनाने पर प्रयास कर रही है। डाॅ0 अविनाश ने एम्स ऋषिकेश को पेशेन्ट सेफ्टी मामले में अन्य अस्पतालों के लिए एक उदाहरण बताया। कहा कि एम्स ऋषिकेश के माध्यम से शीघ्र ही राज्य स्तर पर बेबीनार आयोजित करने की योजना बनायी जा रही है। कार्यक्रम को उत्तराखण्ड मेडिकल एजुकेशन के ज्वाइंट डायरेक्टर डाॅ0 धनवीर रैणा, एम्स की डीन एकेडमिक प्रो0 जया चतुर्वेदी और चिकित्सा अधीक्षक प्रो0 सत्या श्री बलीजा, मोडरेटर अर्चना कुमारी सहित अन्य ने भी संबोधित किया। कहा गया कि रोगी के इलाज के दौरान अनावश्यक शल्य क्रियाओं और शल्य चिकित्सा से बचने की आवश्यकता है।
काॅन्क्लेव में प्रतिभागियों ने उन्नत चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने और रोगी की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर दिया। वक्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय रोगी सुरक्षा लक्ष्य जिनमें रोगियों की सही पहचान करना, स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमणों के जोखिम को कम करने, उच्च-चेतावनी दवाओं की सुरक्षा में सुधार करना और सुरक्षित सर्जरी सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। इस दौरान प्रतिभागियों द्वारा पेशेन्ट सेफ्टी हेतु सत्यनिष्ठा और अखंडता की शपथ भी ली गयी। काॅन्क्लेव में सिम्युलेशन बेस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अलावा पैनल डिस्कशन के माध्यम से भी पेशेन्ट सेफ्टी की महत्ता पर विस्तृत चर्चा की गयी। कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों के 40 से अधिक नोडल ऑफिसरों ने शिरकत की।
इस दौरान डीन रिसर्च प्रो0 शैलेन्द्र हाण्डू, अपर चिकित्सा अधीक्षक डाॅ0 वाई.एस. पयाल, डाॅ0 गीता नेगी, डाॅ0 पुनीत धमीजा, डाॅ0 प्रदीप अग्रवाल, डाॅ0 निधि केले, डाॅ0 मधुर उनियाल, डाॅ0 पूजा भदौरिया, डॉ. रवि कुमार, डाॅ. श्रीलोय मोहन्ती, चीफ नर्सिंग ऑफिसर रीता शर्मा सहित विभिन्न विभागों की फेकल्टी सदस्य, डीएनएस, एएनएस और नर्सिंग अधिकारी मौजूद रहे।

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